सफ़ेद हाँथी बना अंबेडकर यूनिवर्सिटी का कोचिंग सेंटर, कोचिंग से नहीं निकल पा रहे है ज़्यादा सफल विद्यार्थी
अंबेडकर विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस का दर्जा प्राप्त है पर यहाँ पर कई ऐसे सेंटर पाले पोसे जा रहे है जहां पे उपलब्धि शून्य है और लाखों रुपये खर्च हो रहे है।
अंबेडकर विश्वविद्यालय में रेज़ीडेंशियल कोचिंग अकैडमी में आंबेडकर कोचिंग ऑफ़ एक्सीलेंस (DACE)को स्थापित किया गया था की वो विद्यार्थियों का भला करेगा पर ये सेंटर सफ़ेद हाथी बन चुका है . कोचिंग सेंटर कहने को तो छात्रों को विभिन्न परीक्षा के लिए तैयार कराता है पर इस प्रोग्राम की सफलता या असफलता का कोई आंकड़ा विश्वविद्यालय की वेब साइट पर नहीं उपलब्ध है .
इस प्रोग्राम को चलाने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ सोशल जस्टिस एंड इम्पोवरमेंट से फण्ड मिलता है और बच्चों को फ़्री मे परीक्षा की तैयारी कराई जाती है।
इस सेंटर के निदेशक शशि कुमार पर सेंटर के विद्यार्थियों ने सुविधा न देने और सुचारू रूप से न चलाने का आरोप लगाया गया था पर आज भी वो अपने पद पर बने हुए है। शशि कुमार मानवाधिकार विभाग में प्रोफ़ेसर है और वो सेंटर को वहीं से चलाते है।
वही बचपन एक्सप्रेस के संवाददाता ने जब पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष से पूछा तो उन्होंने बताया कि सेंटर के बच्चे ज़्यादातर शोर मचाते है जिससे पत्रकारिता विभाग का ऐकडेमिक माहौल ख़राब हो रहा है।
सेंटर में शिक्षकों के अभाव के चलते और निदेशक के न मिलने से ज़्यादातर बच्चे पत्रकारिता विभाग के ऑफिस स्टाफ़ के पास अपनी परेशानी लेकर आते है।
सेंटर की ठीक देखभाल न होने विद्यार्थी इधर -उधर घूमते रहते है जिससे पत्रकारिता विभाग में विद्यार्थियों को भी दिक़्क़त बढ़ रही है।
इस विषय में जब निदेशक से वर्तमान स्थिति जानने के लिए बचपन एक्सप्रेस संवाददाता ने प्रो शशि कुमार से संपर्क साधना चाहा तो उनका नंबर बंद मिला।
विश्वविद्यालय प्रसाशन का ढुलमुल रवैया विद्यार्थियों को न सिर्फ़ उनके बेसिक अधिकारों से दूर कर रहा है बल्कि इस तरह के कोचिंग की असफलता भविष्य में अंबेडकर विश्वविद्यालय को काफ़ी महँगा पड़ेगा।
भविष्य में आंबेडकर विश्वविद्यालय में शायद ही इस तरह का सेण्टर मिले क्योंकि ये आंकड़े विभिन्न मंत्रालय में होते है और आंबेडकर विश्वविद्यालय पहले ही आर सी ए कोचिंग में फण्ड न आने से बंद होने की स्थिति में है . आर सीए में काम करने वाले लोगो का भविष्य भी अधर में है .
इस सेंटर में बाहर के छात्र पढ़ते है और उनको अगर ठीक प्रकार से शिक्षा -दीक्षा नहीं मिली तो इस सेंटर का भी वही हाल होगा जो रेमीडियली कोचिंग का हुआ। वैसे भी ये विश्वविद्यालय एक प्रकार के जाति के लोगों की गोलबंदी के लिये जाना जाता है और कुछ शिक्षक इन तत्वों को बढ़ावा देते है।
बचपन एक्सप्रेस इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा मंत्रालय और सोशल एवम् जस्टिस एंड इम्पोवरमेंट मिनिस्ट्री से भी बात चीत कर इस मुद्दे को छात्र हित में लोगो के सामने लाने का प्रयास करेगा जिससे इस कोचिंग को सही प्रकार से चलाया जा सके ।