अगर ये सत्य है तो बड़ा ही दुखद है | इतना पढने के बाद अगर जामिया के प्रोफेसर इस आधार पर बंट गए है तो इनको शर्म से डूब मरना चाहिए | कुछ दिनों से मुझे लगता है की जिस जामिया को मै जानता हू वो कही खो गया है और इस नए जामिया में अलीगढ मुश्लिम यूनिवर्सिटी की कट्टरता आ गयी है |
हालाकि जामिया शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम रहा पर जब तक इसका धर्मनिरपेक्ष ढांचा बरक़रार रहा | आज यहाँ पर एक धर्म को लेकर जिस तरह से जमावड़ा बढ़ रहा है उससे लगता है की आने वाले समय में ये शिक्षा की जगह किसी और बात के लिए ही जाना जायेगा |
धर्म के आधार पर नंबर देना और देखलेना ये तो जाहिलाना बाते है और शिक्षा के मंदिर में इस तरह की बाते शोभा नहीं देती है | सरकार को चाहिए की इस तरह के लोगो के खिलाफ सख्त कारवाई कर लोगो को सन्देश दे की ऐसी हरकत कही भी बर्दाश्त नही की जायेगी |