SBI ने आर्थिक सुस्ती को लेकर कहा, केवल ब्याज घटाने से नहीं बनेगी बात, मांग बढ़ाने की जरूरत

Update: 2019-09-17 07:25 GMT


महिमा
एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के माध्यम से आगे बढ़कर खर्च करना होगा।...
देश के सबसे बड़े बैंक SBI की मानें तो अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए केवल नीतिगत दरों में कटौती से कुछ नहीं होगा। बैंक का कहना है कि नरम मौद्रिक रुख अपनाने की बजाय सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिये। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के माध्यम से आगे बढ़कर खर्च करना होगा।
एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि फिस्कल डेफिसिट को काबू में रखने के लिए खर्च में किसी तरह की कटौती वृद्धि की दृष्टि से ठीक नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा सुस्ती को केवल मौद्रिक नीति में होने वाले उपाय से ही हल नहीं किया जा सकता।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को शुरू में ही मनरेगा और पीएम-किसान में व्यय बढ़ाकर मांग में कमी के सिलसिले को रोकना होगा। पीएम-किसान पोर्टल के अनुसार इस योजना के लाभार्थियों की संख्या अभी 6.89 करोड़ ही है, जबकि लक्ष्य 14.6 करोड़ का है।
मनरेगा की वेबसाइट के अनुसार केंद्र द्वारा 13 सितंबर तक कुल 45,903 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। हालांकि, इसमें से केवल 73 फीसद यानी 33,420 करोड़ रुपये की राशि ही खर्च हुई है। पूंजीगत व्यय का बजट अनुमान 3,38,085 करोड़ रुपये है। जुलाई तक इसमें से सिर्फ 31.8 फीसद राशि ही खर्च हुई थी। एक साल पहले इसी अवधि में बजट अनुमान का 37.1 प्रतिशत राशि खर्च कर ली गई थी।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत तक पर सीमित रहना चाहिए।

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