आज इतिहास पुनः अपने को दोहरा रहा था बस समय और खिलाडी बदल गए | हम सभी जानते है की जलियावाला बाग में निहत्थी भीड़ को गोलियों से भून देने वाला जनरल डायर से बचने के लिए लोग वहा स्थित कुँए में कूदने लगे और सैकड़ो की जान वहां गयी \
आज भीड़ ने जिसमे ज्यादातर सिक्ख समुदाय के लोग थे वो तलवार लहरा रहे थे और लालकिले पर स्थित अपने ही देश के निहत्थे पुलिस वालों को काटने और मारने के लिए दौड़ा रहे थे |
उनसे बचने के लिए बगल की खाई में बीस फुट से ज्यादा उपर से कूदते पुलिसवाले अपनी जान बचाने के लिए इक्कीसवी सदी के जनरल डायर से हाँथ जोड़ कर माफ़ी मांग रहे थे | पर जिनके उपर १९१९ में बीती थी उन्होंने आज दुसरो पर वही जुल्म ढा दिया |
चीखती महिला कांस्टेबल जो भीड़ के तोड़े हुए बैरिकेड के नीचे फसी थी कराहती रही पर इन आततायियों ने उस महिला को न सिर्फ रौदा बल्कि भारत के गरुरु को चकनाचूर कर दिया | आज लाल किले के प्राचीर से तिरंगा अपने सिक्ख गुरुओं को याद कर रहा था जिन्होंने औरंगजेब के आतंक के आगे सर नही झुकाया और हिन्दुस्तान की सरजमी के लिए अपने सर कलम करवा लिए |
आज वही सिक्ख लालकिले के प्राचीर से अपने गुरुओं के बलिदान को अपनी हरकतों से धो रहे था | कहीं न कहीं गुरु गोविन्द सिंह आज इनके कृत्य पर शर्मिंदा होंगे | जिस बहादुर कौम की कल्पना उन्होंने की और हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया उसके लाल आज लालकिला को अपने काले करतूत से धो रहे थे |
जनरल डायर की आत्मा आज कही हस रही होगी की आज इतने जनरल डायर की औलाद भारत में अपने ही लोगो के खून के प्यासे बने हुए है | इनको अगर वक्त रहते नही संभाला गया तो ये भारत को गहरे जख्म देंगे |
किसान आन्दोलन के समर्थन में इतने दिनों तक रहने के बाद आज मन करता है की खुद इन आततायियों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए सभ्य समाज आगे क्यों नही आ रहा है | कुछ लोगो का इनके द्वारा लालकिले पर झंडा लहराने को महिमा मंडित करना पिसाच के खून पीकर हसने के समान है \
इन तथाकथित सभी नर पिशाचो से भारत को जल्द मुक्ति मिलेगी अगर सरकार अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल करे | आज जो कह रहे है की सिक्ख समुदाय इसके लिए जिम्मेदार नहीं है तो उनको आगे आकर बताना चाहिए की लालकिले की प्राचीर पर कौन लोग थे जिन्होंने भारत के गौरव के साथ खिलवाड़ किया है |
सौभाग्य मनाओ को हम सही मायनों में लोकतंत्र है नहीं तो चीन और पाकिस्तान में ऐसी हरकत पर तुम्हारी आने वाली कई पुश्तो को भी तुम्हारे अस्तित्व पर सर झुका कर रहना पड़ता |
शुक्र मनाओ को तुम भारत में हो नहीं तो चीन के कांसनत्रेसन कैम्प की शोभा बढ़ा रहे होते | इतना होने के बाद भी भारत तुमको फिर से गले लगा लेगा तो ये सनातन परम्परा का ही कूट कूट कर भरा वसुधैव कुटुम्बकम का भाव है नहीं तो किसी और देश में तुम अपनी अंतिम साँसे गिन रहे होते |