जिस मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज के बाद हिंसा हो उसपर सख्त कार्रवाई करे सरकार
अभी हाल में सड़को पर निकल कर हिंसक प्रदर्शन करने वाले मुस्लिमों को क़ानूनी मदद करने के लिए न सिर्फ जमीयत बल्कि कई मुस्लिम संगठन सामने आ जाते है | जिस तरह से भारत की सड़को पर कानून तार - तार किया गया है और संविधान के ऊपर शरीयत को बताया जा रहा है उससे आने वाले समय में ये रोग बढ़ता ही चला जाएगा | मुस्लिमों का एक तबका हिंसक विरोध करता है और दूसरा उसकी क़ानूनी मदद करता है |
भारत के दुश्मनो की जो पत्थर फेंकते सड़क पर चलने वालो के लिए काल बन गए है और लगभग हर जुमे की नमाज के बाद इस तरह की हरकत होती है | अब जुमे की नमाज हिंसा का दूसरा नाम हो गया है |
जुमे की नमाज के बाद लोग अच्छा काम करे तो समाज का भला हो पर नमाज पढ़ने के बाद समाज को ही जला दे तो हर नागरिक यही कहेगा की जुमे की नमाज में हर मस्जिद में संख्या निश्चित हो और जिस भी मस्जिद के बाहर हिंसा हो उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़े तभी ये हिंसा रुकेगी |