भारत-चीन की सेनाएं एलएसी से पीछे हटना शुरू हुईं, दोनों पक्षों ने 5-5 तंबू भी हटाए
(आरएनएस)। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते कई सालों से चल रहा विवाद खत्म होता नजर आ रहा है।दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए हुए समझौते के बाद सीमा पर इसका असर दिखाई देने लगा है।भारत और चीन ने एलएसी पर कुछ बिंदुओं से सेना को पीछे हटाया है। तंबू और अस्थायी निर्माणों को भी तोड़ा गया है।
सूत्रों के हवाले से बताया है कि डेमचोक क्षेत्र में दोनों देशों ने 5-5 तंबू और देपसांग में आधे अस्थायी ढांचे हटा दिए हैं।भारतीय सैनिक चारडिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर वापस जा रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं।अभी भी दोनों तरफ करीब 10 से 12 अस्थायी ढांचे और करीब 12 तंबू हैं, जिन्हें हटाने की तैयारी हो रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देपसांग और डेमचौक में स्थानीय कमांडर पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रहे हैं। बीती रात तक लगभग आधा काम पूरा हो चुका है।सभी तंबू और अस्थायी ढांचे पूरी तरह से हटाने के बाद दोनों देश सत्यापन प्रक्रिया शुरू करेंगे। इसमें जमीनी पर और हवाई सर्वेक्षण के जरिए प्रक्रिया की स्थिति पता लगाई जाएगी।फिलहाल दोनों पक्ष आपसी विश्वास के आधार पर प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।
21 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर गश्त को लेकर सहमति बनी है।विदेश सचिव मिस्री ने कहा था, भारत और चीन के अधिकारी हाल ही में हुई बातचीत के बाद एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। इसके परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्र में से सैनिकों की वापसी हो रही है और अंतत: 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों का समाधान हो रहा है।
भारत और चीन के बीच अप्रैल, 2020 से एलएसी पर तनाव बना हुआ है। तब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ कर दी थी।उसकी इस हरकत के बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं और 15 जून, 2020 को गलवान में तनाव हिंसा में बदल गया।इस खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों भी मारे गए।