राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरा होने के मौके पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे मातरम की 150 वर्ष की गौरवशाली यात्रा का उल्लेख किया। पीएम ने वंदे मातरम की कई ऐतिहासिक पड़ावों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा सरल नहीं रही है। वंदे मातरम ने आपातकाल की बेड़ियों से संघर्ष करते हुए राष्ट्र चेतना को नई ऊर्जा दी है और आज भी यह देशवासियों को एकजुट करने की प्रेरणा देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 1875 में शुरू हुई वंदे मातरम की यात्रा चर्चा की। उन्होंने कहा कि 1857 के संग्राम के बाद अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म और दमन के बीच, राष्ट्रभावना जगाने के लिए यह गीत जन्मा। घर-घर तक पहुँचाने की चुनौती को बंकिम दा ने स्वीकार किया, और उसी से वंदे मातरम देश की नई शक्ति बनकर उभरा।
पीएम मोदी ने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों को याद किया और उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन वीरों ने वंदे मातरम का उच्चारण करते हुए फांसी की सजा को गले लगाया। भले ही ये सभी विभिन्न जेलों में थे, फिर भी उनका साझा मंत्र था "एक भारत, श्रेष्ठ भारत"।
उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो वंदे मातरम 1905 में गांधी के समय देश को जाग्रत करता था, वही पिछली सदी में क्यों नजर-अंदाज और विश्वासघात का शिकार बना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के वंदे मातरम पर किए गए समझौतों पर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम को बांटने की कोशिश की ,उसके टुकड़े कर दिए। यह देश का दुर्भाग्य है कि अपनी राजनीति के लिए कांग्रेस वंदे मातरम के विभाजन तक के लिए तैयार हो गई।