न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए - राष्ट्रपति मुर्मू

Update: 2024-12-06 04:26 GMT



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में नए न्यायिक न्यायालय परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने न्याय व्यवस्था की सुगमता और आम नागरिकों के लिए इसके महत्व पर जोर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय समय पर न मिलने का मतलब है न्याय न मिलना। उन्होंने अदालतों में लंबे समय तक चलने वाली सुनवाई और स्थगन की प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे सबसे अधिक गरीबों को परेशानी होती है, जिनके पास बार-बार अदालत आने का समय और संसाधन नहीं होते। राष्ट्रपति मुर्मु ने सभी संबंधित पक्षों से आग्रह किया कि वे इस पर काबू पाने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि आम जनता को जल्दी और प्रभावी न्याय मिल सके।

भाषा के मुद्दे पर भी राष्ट्रपति ने अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आम लोग अक्सर नहीं समझ पाते कि वकील उनके पक्ष में क्या तर्क दे रहे हैं या न्यायधीश का निर्णय क्या है। हालांकि, राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट और ओडिशा हाई कोर्ट के फैसलों का अब ओड़िया और संथाली में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे फैसले लोगों तक आसानी से पहुंच रहे हैं।

महिलाओं के योगदान को लेकर राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे अन्य क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान बढ़ रहा है, वैसे ही न्यायपालिका में भी महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने ओडिशा न्यायिक सेवा में 48 प्रतिशत महिला अधिकारियों की उपलब्धि को सराहा और उम्मीद जताई कि यह संख्या भविष्य में और बढ़ेगी।

नए न्यायिक परिसर के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसका डिज़ाइन वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। यहां पर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे न्याय की प्रक्रिया तेज और प्रभावी होगी। राष्ट्रपति ने यह भी विश्वास जताया कि नए परिसर में आधुनिक सुविधाओं के चलते न्यायिक कार्यों में और सुधार होगा।

TEXT SOURCE: PIB

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