प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार हरितालिका तीज पर हस्तनक्षत्र, शुभ योग और रवि योग व्रत को बनाएगा खास

Update: 2025-08-19 05:06 GMT

सनातन धर्म में वैध्वय  नाशक व पुत्र-पौत्रादिक अभिवृद्धि के लिए किया जाने वाला व्रत हरितालिका तीज व्रत, जो सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए तथा विवाह योग्य कन्याएं मनोनुकूल पति प्राप्ति के लिए भाद्र शुक्ल तृतीया को इस व्रत को किया जाता है। इस बार २६ अगस्त को किया जायेगा।

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार हरितालिका तीज पर इस बार हस्तनक्षत्र, शुभ योग के साथ ही रवि योग तीज व्रत को बेहद खास बनाने वाला होगा। भाद्र शुक्ल तृतीया तिथि २५ अगस्त को दिन में ११ बजकर ३९ मिनट पर लगेगी जो २६ अगस्त को दिन में १२ बजकर ४० मिनट तक रहेगी। तीज व्रत की पारना २७ अगस्त को किया जाएगा। रात्रि में पार्थिव शिव-पार्वती की मूर्ति का पूजन तथा कथा श्रवण कर रात्रि जागरण करने से सौभाग्य की रक्षा होती है। माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वर्ष तपस्या की थीं।

भाद्र शुक्ल तृतीया को ही भोलेनाथ माता पार्वती की तपस्या प्रसन्न होकर माता से वर मांगने का कहा, तब देवी ने कहा यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मेरे पति हों। तब भोलेनाथ ने उन्हें स्वीकार किया था। वह दिन भाद्र शुक्ल तृतीया थी। तभी से सनातनी सौभाग्यवती महिलाएं अपने सौभाग्य एवं अविवाहित कन्याएं मनोनुकूल पति प्राप्ति के लिए यह व्रत करती चली आ रही हैं।

इस बार २६ अगस्त को ही ढेलहिया चौथ भी होगा। हालांकि वरद श्रीगणेश चतुर्थी व्रत (महाराष्ट्र में गणेशोत्सव) अगले दिन २७ अगस्त को होगी। प्राय: गणेश चतुर्थी को ही ढेलहिया चौथ होती है। इसमें चंद्रदर्शन से कलंक लगता है। ऐसी मान्यता है। अत: इस बार ढेलहिया चौथ व हरितालिका तीज दोनों २६ अगस्त को है। ऋषि पाराशर ने चौथ के चंद्रमा को देखने का दोष बताया है।

सिंह राशि के सूर्य में भाद्र शुक्ल पक्ष की चौथ को चांद देखना मिथ्यादोष (कलंक) लगाता है। इस कारण २६ अगस्त को रात्रि चंद्रास्त आठ बजकर छह मिनट पर होगा। अत: रात्रि आठ बजकर छह मिनट के पश्चात ही आकाश की ओर देखें। जिन लोगों को अनजाने में चंद्र दर्शन हो जाये या भूलवश देख लें, उसके निमित्त शास्त्रों में चंद्रदर्शन का परिहार भी बताया गया है। जिसमें सेमन्तक मणी की कथा का श्रवण करना चाहिए या विष्णु पुराण के इस मंत्र को पढ़ लेना चाहिए-

'सिंहप्रसेनमवधीत सिंहों जांबवता हत् ह। सुकुमारकुमारोंदिस्तव हेयश श्यामंतक:।।"

कलंक दोष नाश के लिए दो-चार कंकड़ लेकर किसी पड़ोसी के घर में फेंकने से भी दोष का परिहार हो जाता है। वहीं, हरितालिका तीज तिथि विशेष पर धर्मप्राणा स्त्रियों को चाहिए कि वे हाथ में जल, अक्षत, पुष्पादि लेकर मन में शिव-पार्वती के सायुज्य सिद्धि के लिए हरितालिका व्रत करूंगी यह संकल्प करके भूमि पर मंडपादि सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र कर इसके पश्चात कलश स्थापन कर सुवर्णादि निर्मित या शिव-पार्वती मूर्ति स्थापित कर विधिवत पंचोपचार पूजन करें।

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