भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बैंक सबसे मजबूत: मूडीज

Update: 2025-12-08 12:06 GMT


मूडीज की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और एशिया–प्रशांत क्षेत्र के बैंक, पूंजी के मामले में अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के बैंकों से ज़्यादा मजबूत साबित हो रहे हैं। मूडीज के सर्वे में कहा गया है कि एशिया–प्रशांत के बड़े बैंकों ने पिछले कई वर्षों में मजबूत पूंजी आधार बनाया है और इसका बड़ा कारण है इन देशों का सख़्त और सतर्क नियामकीय ढांचा।

रिपोर्ट की सबसे अहम बात है कि भारत के बड़े निजी क्षेत्र के बैंकों ने बेहद मजबूत CET1 पूंजी अनुपात बनाया है। CET1 यानी Common Equity Tier-1, बैंक की वह मुख्य पूंजी जो किसी भी वित्तीय झटके को सबसे पहले संभालती है। मूडीज कहता है कि भारतीय निजी बैंक न सिर्फ पर्याप्त पूंजी रखते हैं, बल्कि ज़रूरत पड़े तो मार्केट से पूंजी जुटा भी लेते हैं।

मूडीज के अनुसार, 2024 के अंत तक भारत के बड़े बैंकों का औसत CET1 अनुपात 14.7% रहा— जो हांगकांग के 18%, कोरिया के 14.5%, और अमेरिका के चार सबसे बड़े बैंकों के 13.5% से भी अधिक है। पश्चिमी यूरोप के शीर्ष छह बैंकों का औसत 13.8% दर्ज किया गया। जहाँ तक जोखिम-भार की बात है, भारत, वियतनाम और कुछ चीनी बैंकों में RWA घनत्व ज्यादा है क्योंकि ये बैंक अभी "स्टैंडर्डाइज्ड एप्रोच" का इस्तेमाल करते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत 2028 तक IRB मॉडल पर जाने की तैयारी कर रहा है, जिससे RWA घनत्व कम हो सकता है। इस रिपोर्ट में भारत के एसबीआई, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को शामिल किया गया — जो देश के कुल बैंकिंग तंत्र के लगभग 50% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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