कोरोना संक्रमण के चलते फीका रहेगा क्रिसमस का त्यौहार

Update: 2020-12-12 08:37 GMT

 

हर साल की तरह इस बार भी 25 दिसंबर 2020 को लखनऊ के ईसाई समुदाय के लोग क्रिसमस मनाएंगे। इसके लिए शहर के सभी चर्च में तैयारियां चल रही हैं। क्रिसमस तक हर रविवार शहर के चर्चों में प्रार्थनाएं होंगी। कोरोना संक्रमण काल के चलते इस बार कई कार्यक्रम नहीं होंगे।

क्रिसमस का मौसम रविवार 29 नवंबर, 2020 को एडवेंट सीजन की शुरुआत के साथ शुरू हुआ। 'एडवेंट' लैटिन के 'आगमन' से 'आने का अर्थ है'। क्रिसमस की तैयारी में तीन सप्ताह के लिए प्रार्थना की अवधि होती है, अधिक तात्कालिक समारोह भी शुरू हो गए हैं, लेकिन इस संबंध में सरकार के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए बड़ी सावधानी से क्रिसमस का पर्व मनाया जाएगा।

इसके साथ ही इस वर्ष होने वाली रैलियों, प्रदर्शनी आदि को न करने के संबंध में भी विचार किया जा रहा है। घरों में साफ-सफाई और रंग-रोगन का दौर शुरू हो गया है। चर्च में भी सैनिटाइज और बिना मास्क के प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

शहर के मुख्य चर्च, हजरतगंज के सेंट जोसेफ कैथेड्रल में 24 दिसंबर की आधी रात के आसपास पवित्र मास होगा जिसकी अध्यक्षता लखनऊ के बिशप रेव डॉ जेराल्ड जॉन मैथियास और अन्य पुजारी करेंगे। इस वर्ष कोविड प्रोटोकॉल के मद्देनजर एक सीमित संख्या अर्थात् विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि, मध्य रात्रि पवित्र मास और दिन दिव्य सेवाओं में भी भाग लेंगे।

जबकि कैथेड्रल कम्पाउंड को क्रिसमस की रोशनी, क्रिसमस पालना और क्रिसमस सितारों से सजाया जाएगा, लखनऊ में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच प्रचलित इस पर्व पर प्रतिबंधों के अनुसार प्रवेश सीमित होगा। चूंकि कैथेड्रल कम्पाउंड काफी बड़ा है, इसलिए किसी भी समय लगभग 200 लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा। बता दें कि हर साल क्रिसमस के दिन करीब एक लाख से अधिक लोग चर्च और मैरियन ग्रोटो (मदर मैरी की तीर्थयात्रा) में हल्की-फुल्की मोमबत्तियाँ देखने आते हैं।

शिवांग

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