बॉर्डर - गावस्कर ट्रॉफी ३-१ से हारा भारत, बिना बुमराह के दूसरी पारी में १६२/४ बना जीता अंतिम टेस्ट
भारत के लिए अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन खेलपाना मुश्किल हो गया है क्योंकि अंतिम टेस्ट हार कर पॉइंट टेबल में वो अब ऑस्ट्रेलिया से काफ़ी पीछे हो गये। अंतिम टेस्ट में हार के कारण भारत पॉइंट टेबल में अब चमत्कार के सहारे की ही उम्मीद कर सकता है।
काम न आया रोहित का बाहर बैठना : बड़े सारे लोगों ने सारा कचरा रोहित शर्मा पर उड़ेल दिया था जिसके कारण इस मैच विनिंग प्लेयर को बाहर बैठना पड़ा और भारत का हाल वही रहा। बाहर बैठे क्रिकेट एक्सपर्ट टीम का कितना नुक़सान करते है वो इस घटना से सीखा जा सकता है।
विराट फेल पर बाक़ी भी फेल : सिर्फ़ विराट और रोहित को कोसने वाले लोगों से पूछना होगा कि बाक़ी के लोगो में अगर देखे तो निरंतरता तो किसी में नहीं दिखी, अपने चरम पर रहे विराट कम से कम हर मैच में जीत की गारंटी थे पर ये नये खिलाड़ी एक मैच में शतक मार चार मैच में फ्लॉप हो रहे है इनको पूछने वाला कोई नहीं। चाहे रेड्डी हो या जायसवाल या फिर रोहित की जगह आये गिल सब समय -समय पर ही खेल पा रहे थे, कोई भी खिलाड़ी ऐसा नहीं था जो पूरे सीरिज़ में हर मैच में अच्छा खेला हो।
बोलिंग में बुमराह छोड़ बाक़ी भी प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे थे । सीरिज़ में शिराज हो या अन्य गेंदबाज़ वो उस तरह का दबदबा नहीं दिखा सके जैसा कि बुमराह ने एक छोर से किया। अब क्रिकेट टीम गेम है एकाध प्लेयर दबाव में नहीं खेल पा रहा है तो चलता है पर अगर आधी टीम ही नहीं खेल पा रही है तो फिर मैच कौन जितायेगा।
गंभीर के प्रयोग ने टीम इंडिया को गंभीर घाव दे दिया है अब उनको चलता कर किसी सीनियर खिलाड़ी को लाना चाहिए जिसकी बात सब सुने। किसी ऐसे खिलाड़ी को कोच बनाना जिसके साथ खेले हुए लोग अभी भी टीम में खेल रहे है, अच्छा प्रयोग नहीं है।
भारत को अब हर फॉर्मेट के लिये अलग कोच की व्यवस्था करनी चाहिए जिसमे खेल के हिसाब से कोच भी चयन किया जाये।