विश्व के जाने माने प्रख्यात कवि डॉ० कुमार विश्वास ने मेला श्री राम नगरिया के सांस्कृतिक पांडल को यहाँ अपनेे श्रृंगार रस से सरावोर कर दिया तथा मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम व भागीरथी माँ गंगा के सुंदर चरित्र का वर्णन कर श्रोताओं , संतों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेला प्रभारी नगर मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव ने आए हुए सभी कवियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया उन्होंने डॉ कुमार विश्वास को सरस्वती की प्रतिमा भेंट कर पतित पावनी गंगा जी की निशानी भेंट की।
प्रभु श्री राम की भूरि-भूरि प्रशंसा कर कवि सेे एक संत की भूमिका में आए कुमार बोले.... मानवता की खुली आँख से सबसे सुंदर अपने राम।
जिला प्रशासन की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में श्रृंगार रस के कवि और गायक डॉ० कुमार विश्वास के माइक पकड़ते ही उनकेे दीवानों ने जयकारे लगाने शुरु कर दिए। मोहब्बत एक अहसासों की एक पावन कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था, कहीं मीरा दीवानी है, यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आसू हैं, जो तू समझे तो मोती है जो तू न समझे तो पानी हैं। पर तालियों की गडग़ड़ाहट की गूंज ने समा बाँध दिया। कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है लो हमने देख ली दुनिया ये इतनी खूबसूरत है। पर प्रशंसक जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। मोहब्बत की मजबूरी में चार चाँद लगाते बोले कुमार... तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ, तुम्हें मैं भूल जाऊँगा यह मुमकिन है नहीं, लेेकिन तुम्ही को भूूलना सबसे जरूरी है समझता हूँ, मैं एं मजबूरी समझता हँू।
मंच संचालक डॉ० शिव ओम अम्बर का संचालन सोने पर सुहागा साबित हुआ। उनकी टिप्पणीयों ने राजनीति से छूते हुए करारे व्यंग किये तो लोग सोचने के लिए मजबूर हो गए। डॉ० अम्बर ने कहा कि ये सियासत की तबायफ का टुपट्टïा है, ये किसी के आसुओं से तर नहीं होता, तो वर्तमान की चुनावी राजनीति सबके दिमागों में गूंज गई। उन्होंने युवा पीढ़ी का आवाह्नï करते हुए कहा...जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख, श्रीमद् भगवत गीता पढ़, युद्घ बराबर जारी रख।
अलवर राजस्थान सेओज के सशक्त हस्ताक्षर विनीत चौहान ने राजस्थान की धरती की कुर्र्बानियों का सिलसिला जब अपनी कविताओं में पिरोया तो गंगा तट पर वीर रस की धारा बही तो लोग वंदेमातरम और भारत माता की जय के जय घोष करने लगे।
कवि प्रांशु गजेन्द्र की कविताएं सभी के सिर पर चढक़र बोलीं। गजेन्द्र की कविताएं सुनकर लोगों ने माहौल को ही जिंदाबाद कर दिया।
फर्रुखाबाद युवा कवि उत्कर्ष अग्निहोत्री के मौलिक गीत और गजलों नेे फर्रुखाबाद और कन्नौज की धरती की खुशबू राष्टï्रीय मंच पर विखेर दी। उनकी गजल... बराबर जाफरानी हो रही है, नजर जितनी पुरानी हो रही, नदी को छू रहा है कोई सूरज, तभी तो पानी-पानी हो रही है।
इस मौके पर सांसद मुकेश राजपूत, वरिष्ठ पत्रकार रमेश अवस्थी संजय गर्ग सैकड़ो की तादाद में कल्पवासी, साधु संतो ने देर रात कविताओं का लुत्फ उठाया।