इस संसार मे उन लोगो की कमी नही है,जिनके विचार सोच तो बड़े ऊंचे होते है।मगर अचार विचारों से भिन्न होता है।सकारात्मक और नकारात्मक सोच में अंतर परिभाषित होता है।फिर भी आज कथनी करनी की भेदरेखा के कारण देश दल दल में फंसा हुआ है।अधिकतर मानव में यह भ्रम पाल कर चलते हैकि अनैतिक आचरण करके जीवन की सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध की जा सकती है।किंतु ऐसा सोचना अपने आप को धोखा देने के समान है।कोई आग से खेले और सोचे की उसके हाथ न जले।ऐसा नही होता है।आग से खेलेगा तो जलन तो होगी ।नकारात्मक सोच को बदले बिना किसी का भी उद्धार संभव नही।देश की आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी भारत विकसित देश की श्रेणी में आता लेंकिन अनैतिकता की आग ने स्वयं और ओरो के लिए जलन पैदा कर दी।अनैतिकता पूर्ण आचरण से समाज और देश मे इतने वर्षों तक भ्रष्टाचार पनपा है।
वह समाज और राष्ट्र को रसातल में पहुंचा दिया।भारत इसका प्रकट उदाहरण है।यहा अनेक पंचवर्षीय योजना बन गई।परन्तु आज भी यहां गरीबी की रेखा से नीचे जीने वाले करोडो है।इसका कारण है भ्रष्टाचार!आज नैतिकता का पतन हुआ है।नेता गिरगिट की तरह रंग बदलते है।यह पतन नही तो और क्या है?करोडो डॉलर विदेशो का ऋण कर दिया।आखिर में लोगो की मेहनत और राजस्व से भरपाई होने वाले ऋण से बचत को पीछे छोड़ता है।इस ऋण को चुकाने के लिए सरकार दूसरा ऋण लेती थी।यह देश की विडम्बना है।देश आजाद हुआ तब डॉलर और रूपये की कीमत बराबर थी।एक रुपये के सामने एक डॉलर था।लेकिन इन 75 वर्षो में 75 डॉलर हो गया।यह रकम भ्रष्टाचार के कारण महंगी हुई है।रुपए का अवमूल्यन हुआ है।विकास उपलब्धिया कितनी है।प्रत्येक भारतीय अपने आंतरिक स्थिति से परिचित है।जहा रिश्वत दिए बिना छोटा सा छोटा कार्य भी नही हो पाता था।
लेकिन अब कड़क कानून के फ़सडे में कोई फसना नही चाहता है।आज किसी भी विभाग में कार्य अधिकारी ईमानदारी से करते है।कोई किसी भी विभाग के कार्य को नजरअंदाज नही करता है।अनैतिक आचरण के गिरफ्त में आ जाने से कोई भी योजना देश मे सार्थक नही हो सकती।हम आचरण में ढलेंगे तो सामने वाला भी बराबर चलेगा।निज पर शासन फिर अनुशासन को ध्यान में रखना है।व्यक्ति नैतिक आचरण से भयमुक्त रहता ही है।उसका विकास भी अवश्यम्भावी है।सत्यता पूर्ण नैतिक आचरण की अपनी एक अलग सुगंध है।नैतिकता और अनैतिकता की सभी प्रवृत्तियां उस निष्ठा पर आधारित है।जो मानव अपने मन मे बनाए रखता है।
*कांतिलाल मांडोत *