''चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा हो सस्ती''......

Update: 2022-03-06 09:32 GMT

यूं तो नर्सरी से लेकर उच्चशिक्षा तक हमारे यहाँ इतनी महंगी होती जा रही है कि सामान्य अभिभावक के लिए वह अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना स्वप्न सा बनती जा रही है. विशेषकर निजी स्कूल और कॉलेज में. जहाँ नर्सरी में ही हजारों की फीस है तब हाईस्कूल, सामान्य कॉलेज और तकनीकी कॉलेज की स्थिति तो और भी आम लोगों के बच्चों की हैसियत से बाहर होते जा रहे हैं. चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा दोनों ही निजी हाथों में परवान चढ़े हुए हैं.

जहाँ लाखों रुपया बीमारी में तो इतनी ही बड़ी रकम शिक्षा में व्यय /शुल्क के रूप में देना नामुमकिन सा हो गया है. हाल ही में यूक्रेन में हमारे छात्र जहाँ मेडिकल की पढ़ाई हमारे देश से सस्ती होती है वहां गए तो वे जरूर किन्तु रूसी हमलों के कारण जो गंभीर स्थिति बनी वह हर छात्र, अभिभावक और हमारी सरकार के लिए बनी वह बहुत ही सोचनीय हो गई है. अगर हमारे देश में ही सस्ती चिकित्सा शिक्षा के साथ ही अन्य उच्च शिक्षा छात्रों को मिले तो वे विदेश क्यों जाएंगे अपना वतन छोड़कर ? दूसरे अगर सरकारी अस्पतालों में सुव्यवस्था रहे और मरीजों को बेहतर इलाज मिले तो वे भी क्यों लुटने जाएंगे निजी अस्पतालों में ? कहते हैं बच्चे माता-पिता और देश का भविष्य होते हैं. वे परिवार और देश का निर्माण करने में एक बेहतर नागरिक बनाकर कुशल भूमिका निभाते हैं.


तब हमारी नींव को क्यों नहीं सस्ती और बेहतर शिक्षा फिर चाहे सरकारी हो या निजी स्कूल/कॉलेजों में नहीं मिलना चाहिए और क्यों नहीं हर नागरिक को चिकित्सा का लाभ ऐसे ही सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलना चाहिए ? कहाँ, क्यों और कैसे शिक्षा और चिकित्सा महँगी होती जा रही सरकार को इस गंभीर मामले में संज्ञान लेना चाहिए ताकि हमारे देश के बच्चों को देश में ही सस्ती शिक्षा मिल सके और वे विदेश जाने का नाम ही छोड़ दें साथ ही सस्ता और बेहतर इलाज भी सुविधाजनक सभी सरकारी /निजी अस्पतालों में मिले ऎसी को गाइडलाइन सरकार बनाये ताकि आम मरीज धन का आभाव उसके इलाज के लिए बाधक न बन सके....... शकुंतला महेश नेनावा

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