कानपुर 07 मार्च मोहम्मदी यूथ ग्रुप के ज़ेरे एहतिमाम पैगम्बर ए इस्लाम के नवासे, मौला अली के शाहज़ादे हज़रत इमाम हुसैन की यौम ए विलादत (जन्मदिवस) पर गरीब बच्चो को शिक्षा दिलाने का संकल्प लिया।
खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह की दरगाह कर्नलगंज ऊँची सड़क में विलादते इमाम हुसैन मनाया गया। यौमे विलादत की बरकत से पूरी दुनियां में अमनों अमान कायम रहने की अल्लाह से दुआ की गयी।
इखलाक अहमद डेविड ने कहा कि इमाम हुसैन जुल्म जिनाकारी नशाखोरी के खिलाफ व हक़ पर हमेशा रहे, दुनिया को इंसानियत का पाठ पढ़ाया हज़रत मोहम्मद मुस्तफा ने फरमाया हुसैन मुझसे है और मै हुसैन से हूँ इमाम हुसैन जन्नत मे नौजवानो के सरदार है। हमारे नबी इमाम हुसैन से इतनी मोहब्बत करते थे कि नमाज़ पढ़ते वक्त हुसैन उनके कंधो पर चढ़ जाते थे और आक़ा हुज़ूर सरकार मुस्कुरा देते थे।
इमाम हुसैन की जिन्दगी और उनके बताये हुये रास्ते पर चलने व गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए उचित कदम उठाने पर ज़ोर दिया। इमाम हुसैन हक़ और सच के लिये शहीद हुये जो पूरी दुनिया के लिए हमेशा मिसाल बनी रहेगी। इमाम हुसैन जिन्दाबाद के नारे बुलंद किये गये मज़ार शरीफ की गुलपोशी इत्र केवड़ा संदल पेशकर दुआ हुई।
दुआ मे अल्लाह की बारगाह मे मदीने वाले आक़ा इमाम हुसैन के सदके मे हम सबको हज़रत इमाम हुसैन के बताये रास्तो पर चलने, हमारे मुल्क व पूरी दुनियां में अमनो अमान कायम करने की दुआ की। जशन ए विलादत के बाद खानकाहे हुसैनी के बाहर कैम्प लगाकर मिष्ठान व लंगर का वितरण राहगीरों बच्चों में किया गया।
विलादत में इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, रईस अहमद, परवेज़ आलम वारसी, मोईनुद्दीन चिश्ती, युनुस खान, अफज़ाल अहमद, मोहम्मद सैफ, हबीब आलम, मोहम्मद मुज्म्मिल, शमशुद्दीन फारुकी, अनीस अहमद, हाशिम अहमद, मोहम्मद इदरीस, जीशान खान आदि लोग मौजूद थे।