शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों की जांच रिपोर्ट का खुलासा
नगर मजिस्ट्रेट ने संस्तुति की
फर्रुखाबाद। जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी तथा शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों की जांच में दोषी पाई गई प्रधानाचार्य के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिससे कि दलित समुदाय की छात्रा और उसके अभिभावक लगातार भयभीत हैं इतनी सारी जांचों में दोषी पाए जाने के बावजूद भी कार्यवाही नहीं हुई है इससे यह लग रहा है कि दलितों की आवाज को अब भी प्राचीन युग की तरह दबाया जा रहा है लेकिन पीड़ित के पिता ने अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के सामने अपनी बेटी को पेश कर कार्यवाही कराने की गुहार लगाई है।
कोतवाली फर्रुखाबाद क्षेत्र के भोपतपट्टी निवासी मकरंद सिंह की बेटी कुमारी मोहनी कक्षा 10 सी में अध्ययनरत है व रेलवे रोड के स्वामी रामानंद बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ती है।
20 दिसंबर को छात्रा अपनी सहेलियों के साथ जब विद्यालय परिसर में घुस रही थी उसी समय विद्यालय की प्रधानाचार्य प्रीति चतुर्वेदी ने इस छात्रा से घोर आपत्तिजनक कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया जातिसूचक शब्दों के साथ साथ उससे उन शब्दों का प्रयोग किया जो हम छाप नहीं सकते हैं वह पूर्णता अमर्यादित तथा समाज में अपमानजनक शब्दों की श्रेणी में आते हैं, यह शब्द सुनकर कुमारी मोहनी फूट-फूटकर विद्यालय परिसर में रोने लगी मुश्किल से उसकी सहेलियों ने उसे चुपाया, इससे आहत वह अपने घर में जाकर रोने लगी ,और अपनी मां से कॉलेज की प्रधानाचार्य की अपमानजनक भाषा शैली के बारे में बताया ।
मोहनी के पिता मकरंद ने इस मामले की शिकायत आईजीआरएस पर जिलाधिकारी से करतें हुए कार्यवाही की गुहार लगाई ।
जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने इस मामले की जांच जिला विद्यालय निरीक्षक तथा नगर मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव से कराने के आदेश किए।
जिला विद्यालय निरीक्षक आदर्श कुमार त्रिपाठी ने इस मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय इंटर कॉलेज रोशनाबाद के प्रधानाचार्य रामदास तथा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजेपुर की प्रधानाचार्य दीपिका राजपूत से जांच कराई दोनों अधिकारियों ने छात्रा कुमारी मोहनी के बयान लिए ,जांच में छात्रा द्वारा की गई शिकायत की पुष्टि हुई, और वहां के कर्मचारियों तथा छात्राओं ने भी अपने सामने घटित घटना के बारे में बताया,।
दसवीं की संस्थागत छात्रा कुमारी मोहनी से विद्यालय की कार्यवाहक प्रधानाचार्य प्रीति चतुर्वेदी ने घोर आपत्तिजनक, अमर्यादित असंसदीय, संसदीय शब्दों का प्रयोग किया है दोनों शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जिला विद्यालय निरीक्षक को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है और उसमें प्रधानाचार्य को दोषी ठहराया गया है ,।
इसके बाद नगर मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव ने नोटिस जारी कर 27 दिसंबर को अपने समक्ष पेश होकर जवाब देने के लिए कहा लेकिन प्रधानाचार्य नहीं गई उसके बाद उन्होंने दो बार विद्यालय में तहसील सदर के कर्मचारियों के माध्यम से सूचना भिजवाई इसके बावजूद भी उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया, नगर मजिस्ट्रेट ने जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से कराई गई जांच तथा प्रधानाचार्य की कार्यशैली पर आपत्ति उठाई है और उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी से कार्यवाही करने की संस्तुति की है।
बताते चलें की महात्मा गांधी ने कहा था कि अस्पृश्यता ईश्वर और मानवता के प्रति अपराध है लेकिन दुराग्रह से ग्रसित ऊंची जात के लोग अब भी कानून और समाज को नजरअंदाज कर उन शब्दों का प्रयोग करते हैं जो जमीदारी युग में किए जाते थे।
चार महीने लगभग गुजर जाने के बाद भी पीड़ित दलित छात्रा को इंसाफ नहीं मिला है अब वह अपने पिता के साथ अनुसूचित जनजाति आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय सापला के समक्ष पेश होकर न्याय की गुहार लगाएगी