प्रथम चक्रवर्ती बौद्ध सम्राट महापद्मनंद की 2411 वीं जयंती सोल्लास मनाई गयी

Update: 2022-04-16 16:59 GMT


गौरीगंज - अमेठी। भारतीय बौद्ध महासभा उत्तर प्रदेश शाखा जनपद अमेठी के शिविर कार्यालय गौरीगंज में शनिवार को प्रथम चक्रवर्ती बौद्ध सम्राट महापद्मनंद की 2411 वीं जयंती पारम्परिक हर्षोल्लास के साथ मनाई गयी। इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत पारम्परिक बौद्ध रीति बुद्ध नमन त्रिशरण व पंचशील ग्रहण पूर्वक बुद्ध पूजा वंदना से हुई। इस अवसर पर करुणेश प्रकाश बौद्ध ने कहा कि सम्राट महापद्मनंद नाई जाति में जन्मे प्राचीन मगध आधुनिक बिहार राज्य में राज करते थे। पहले ये बौद्ध राजा कालाशोक की सेना में एक सैनिक के रूप में भर्ती हुए थे बाद में अपनी वीरता साहस स्वामिभक्त निर्भीकता बुद्धिमत्ता आदि गुणों के चलते शीघ्र ही राजा कालाशोक की सेना के सेनापति बना दिये गये थे। कालांतर में वे खुद मगध के शासक बनाये गये थे। जिन्होंने तत्कालीन सोलह महाजनपदों को जीतकर एकराट् (चक्रवर्ती सम्राट) की पदवी को धारण किया था। महान इतिहासकार कर्टियस ने इस सम्राट को नाई जाति का बताया है। कई भारतीय इतिहासकार भी इस बात का समर्थन करते हैं।पुराणों में इस सम्राट को एकराट् सर्वक्षत्रांतको नृपः द्वितीयोइव भार्गवः पृथ्वी के कुबेर परशुराम इवापरः और कलिकांशजः आदि कहा गया है।



श्रीमद्भागवत पुराण विष्णु पुराण वायु पुराण व मत्स्य पुराण में इनका वर्णन मिलता है। ये बौद्ध धर्म के अनुयायी भी थे। इस बात का उल्लेख मुद्राराक्षस प्राचीन संस्कृत ग्रंथ लेखक विशाखदत्त में साफ साफ किया गया है। नंदवंशी समाज के लोग अपने इस राजा को इस तरह संस्कृत के श्लोक में नमन करते हैं - ध्रुवं धम्मं धुरंधरं महातेजो महाबलं। उग्रसेनो महापद्मं नंदराजं नमाम्यहं।। अर्थात् अचल धर्म की धुरी को धारण करने वाले महातेजस्वी महाबली उग्रसेन महापद्मनंद राजा को मैं नमस्कार करता हूँ। इस अवसर पर शिवांग वंश शर्मा अमरावती और के पी सविता बौद्ध महामंत्री भारतीय बौद्ध महासभा उत्तर प्रदेश शाखा जनपद अमेठी और रिटायर्ड प्रधानाध्यापक आदि भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का समापन विश्व कल्याण से युक्त पाली गाथा (श्लोक) सब्बे सत्ता के संगायन से हुआ।

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