पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 26 फरवरी यानी कल ‘WTO क्विट डे’ मानने का ऐलान किया है। किसान संगठन ने कहा कि खेती को WTO से बाहर रखें। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 26 से 29 फरवरी तक अबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में खेती को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर दबाव डाला जाए। भारत की खाद्य सुरक्षा और मूल्य समर्थन कार्यक्रम डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवादों का विषय रहा है। दरअसल, प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने 2034 के आखिर तक खेती को समर्थन देने के लिए WTO सदस्यों के अधिकारों के वैश्विक स्तर पर 50% कटौती का प्रस्ताव दिया है।
एसकेएम ने कहा कि भारत सरकार को इन मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए कम विकसित देशों से समर्थन जुटाना चाहिए, ताकि विकासशील देशों को न केवल अपने मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने की अनुमति दी जाए, बल्कि उन्हें बड़े पैमाने पर अपने किसानों और लोगों का समर्थन करने के लिए उन्हें मजबूत करने की अनुमति दी जाए। एसकेएम ने कहा कि देशभर के किसान 26 फरवरी को ‘डब्ल्यूटीओ क्विट डे’ के रूप में मनाएंगे और दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक नेशनल और स्टेट हाईवे पर यातायात में बाधा डाले बिना ट्रैक्टर खड़े करेंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि दिल्ली चलो मार्च में भाग ले रहे किसान अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। उन्होंने संकेत दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
हजारों किसान हरियाणा से लगी पंजाब की खनौरी और शंभू सीमाओं पर अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। इससे पहले, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए उनके दिल्ली मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था। बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में दिल्ली चलो मार्च को खनौरी में हुई झड़प में एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत हो जाने और लगभग 12 पुलिसकर्मियों के घायल होने के बाद किसान नेताओं ने दो दिनों के लिए रोक दिया था।