मायावती का बीडीएम समीकरण से बढ़ेगा मतदाताओ का रूझन

Update: 2022-01-18 12:16 GMT

दलितों के गोलबंदी में जुटे राजनीतिक दलो में कोई भी दल पीछे नही है।मायावती ऐनवक्त पर पासा फेंकने के लिए जानी जाती है।चुनाव प्रचार में निकले सभी दलों के बाद 15 जनवरी में मीडिया के सामने आई मायावती ने अचानक अपनी शैली में बदलाव कर बीडीएम कार्ड खेल कर सभी को अचंभित कर दिया।मायावती का बीडीएम सपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।मायावती ने अंबेडकर की बात कहते हुए कहा कि हमे उनकी बात भी माननी चाहिए।पिछले चुनावों में भी मायावती आधार वोट बैंक माने जाने वाले दलितों को ज्यादा टिकटें दी है।पिछले लोकसभा चुनाव में दलित वोट खिसकने का एहसास हो गया था तो उन्होंने कहा दलित तो बीएसपी के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा लेकिन अपर कास्ट विपक्षियों के बहकावे में आ गया।समाज मे समता मूलक समाज बनाने के लिए साथ लेकर चलने की बात दोहराई।स्वर्ण जातियों को साधने का संदेश दिया है।इस चुनाव में मुस्लिम और ब्राह्मणों को टिकट बंटवारे में सबसे आगे रखा है।मायावती का दलित वोट बहुत तेजी से खिसका है।इस बार स्वर्ण बिरादरी और मुस्लिम को आगे रखा है।यू तो दलित मशीनरी नेताओ को हर बार आगे कर नई रणनीति बनाने के लिए जानी जाती है।सपा ने तो आरोप भी लगाया था कि दलितों को समाजवादी पार्टी की कल्याण कारी योजनाओ का लाभ मिला था लेकिन बीएसपी ने तो अब तक इनका इस्तेमाल ही किया है।यूपी में दलितों की 66 उपजातियां है।जिसमे महज कम ही लोगो को राजनैतिक मंच पर जगह मिल रही है।सभी पार्टियो की निगाह इन दलित मुस्लिम और स्वर्ण जातियों पर मंडरा रही है।इस बार मायावती को आम्बेकरवाद नई परिभाषा फायदा दे सकती है।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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