पत्नी संग अयोध्या पहुंचे गवर्नर ने रामलला का पूजन अर्चन किया

Update: 2024-03-18 15:18 GMT

भगवान राम की ऐसी अद्भुत, अलौकिक प्रतिमा भव्य व दिव्य मन्दिर में विराजमान है जैसे लगता है कि भगवान राम साक्षात सन्मुख खड़े हैं। यह कहना है असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया का। वे सोमवार को पत्नी, परिवार और स्टाफ के साथ अयोध्या पहुंच रामलला का दर्शन पूजन कर रहे थे। मन्दिर में पत्नी के साथ पूजन अर्चन कर रहे राज्यपाल एकटक भगवान की प्रतिमा देखते ही रह गए थे। दर्शन पूजन के बाद सर्किट हाउस में राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि भगवान राम लला का दर्शन करने का सौभाग्य मिला, मैं बहुत भाग्यशाली हूं।

1992 में कारसेवा करने आए थे, ढांचा गिरा तो मैदान में था

-असम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया बताते हैं कि 1992 की कारसेवा में भी शामिल रहा, जब यह ढांचा गिरा था तब एक कारसेवक के रूप में इसी मैदान में मौजूद रहा। उस समय ये छोटी जगह थी, आज भव्य रूप लेकर भव्य और दिव्य मंदिर बना है। प्रतिमा की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि राम लला की जो मूर्ति बनाई गई है, मूर्ति की आंखें, चेहरा मुख मंडल, उसको देखकर ऐसा लगता है भगवान राम साक्षात खड़े हैं। कहा कि1992 के दौरान हनुमानगढ़ी ही सबसे बड़ा श्रद्धा का केंद्र था। जहां सब लोग जाकर दर्शन करते थे।1992 में 5 से 7 दिन रहने का मौका मिला था तो घूम-घूम कर अयोध्या में दर्शन पूजन करने का मौका मिला। सरयू स्नान करने का भी मौका मिला था। यह सब सौभाग्य ही था। 500 साल का जो समाज का कलंक था जिसके लिए कई पीढियो ने संघर्ष किया अपना बलिदान, दिया प्रभु की इच्छा थी नरेंद्र मोदी के इस निर्णय पर, कोर्ट फैसला करें इसको टाले नहीं और कोर्ट ने लगातार सुनवाई करके पहला जजमेंट दिया जिसे हिंदू और मुसलमान दोनों ने स्वीकार किया।

राजनीति से लेकर हर स्तर पर खत्म हो भ्रष्टाचार

-राजनीति पर राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राजनीति में जो भ्रष्टाचार है वह हर लेवल पर समाप्त होना चाहिए। हम जनता के सेवक हैं। चाहे राज्य कर्मचारी हैं या हम जनप्रतिनिधि। जनता के टैक्स से ही हम सब लोग पलते हैं। अपने सब साधन जुटाते हैं। तो जनता की इमानदारी से सेवा करें। यह प्रभु राम हमें आशीर्वाद दें। हनुमान जी से भी प्रार्थना है देश जिस दिशा में आगे बढ़ा है लेकिन अभी पूर्णता की ओर नहीं आया है, अब देश पूर्णता की ओर आए।

मथुरा और काशी पर राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जो कानूनी दांव पेच के आधार पर हुआ है यह निर्णय किसी व्यक्ति और पार्टी ने नहीं किया है यह भी कोर्ट ने किया है। उसका निर्णय भी कोर्ट ही करेगी और कोर्ट के निर्णय को सब लोग मानेंगे।


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