उत्तराखंड: अवैध लिंग परीक्षण पर अब सख्ती से होगी कार्रवाई

Update: 2025-09-11 04:59 GMT



देहरादून के जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी (एफआर) केके मिश्रा की अध्यक्षता में पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की बैठक हुई।

बैठक में पीसीपीएनडीटी एक्ट का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। इस दौरान नवीन पंजीकरण हेतु 14 अल्ट्रासाउंड केंद्रों के आवेदनों को समिति के समक्ष रखा गया। जिस पर विस्तृत चर्चा हुई।

अपर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि अल्ट्रासाउंड केंद्रों के पंजीकरण एवं नवीनीकरण से पूर्व आवेदकों को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र, भवन निर्माण हेतु एमडीडीए से प्राप्त एनओसी, अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था संबंधी प्रमाण पत्र और बायो मेडिकल वेस्ट एग्रीमेंट आवेदन के साथ प्रस्तुत करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर किसी भी केंद्र का पंजीकरण और नवीनीकरण नही किया जाएगा।

साथ ही देहरादून जिले के ऐसे विकासखंड जहां पर लिंगानुपात कम है, वहां विशेष ध्यान रखा जाएगा। अपर जिलाधिकारी ने कड़े शब्दों में कहा कि अल्ट्रासाउंड इस्तेमाल उपचार तक ही सीमित रहे। तकनीक का उपयोग जनहित के लिए हो, भ्रूण परीक्षण जैसे अनैतिक कार्य करने वालों को जिले में कोई जगह नही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में कुल 199 केंद्र संचालित है, जिसमें 407 अल्ट्रासाउंड मशीन है। इसमें 09 केंद्रों का नवीनीकरण होना है। इसके अतिरिक्त 14 नए केंद्र संचालन हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं। लिंगानुपात की जानकारी देते हुए सीएमओ ने बताया कि जनपद का लिंगानुपात 937 है। सबसे कम लिंगानुपात ब्लाक सहसपुर में है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में सहसपुर में 873, रायपुर में 896, डोईवाला में 904, कालसी में 910, विकासनगर में 952 तथा चकराता में 1348 लिंगानुपात है। जिला निरीक्षण एवं मूल्यांकन समिति द्वारा सभी केंद्रों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है।

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