लखनऊ। सूबे में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामसभाओं में गहमागहमी का माहौल तेज हो गया है। आरक्षण नियमावली जारी होने के बाद अब ग्राम सभाओं में इस बार सीट एससी के लिए आरक्षित होने के आसार भांपकर भावी उम्मीदवारों को डर सताने लगा है। जिन ग्राम सभाओं में इस बार सीट एससी होने की आशंका बनी है। वहां सामान्य और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार एससी कोटे से अपने खासमखास को प्रधानी का उम्मीदवार बनाने की फिराक में लग गए हैं। दूसरी ओर सूबे के सभी डीपीआरओ को लखनऊ में टेÑनिंग के लिये बुला लिया गया है। यह ट्रेंनिग 16 व 17 फरवरी को होनी है।
सामान्य और ओबीसी के उम्मीदवार सालों से प्रधान बनने का सपना संजोए थे। अब ऐसे सभी लोग भी ऐसा उम्मीदवार उतारने में जुटे हैं जो सिर्फ नाम का ही प्रधान रहे, ताकि वे अपने काम साध सकें। लखनऊ के आस-पास के प्रधानों से बात करने पर पता चला कि यदि उनके यहां एससी सीट होती है तो वे ऐसे एससी कैन्डीडेट को खड़ा करेंगे जो उनका खास हो और उनका सम्मान करता हो। कई ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो कि अगर इस बार चुनाव नहीं लड़ पाए तो ग्रामीण राजनीति से गायब हो जाएंगे। ज्यादातर सामान्य व ओबीसी वर्ग के ऐसे लोग प्रधानी की सीट एससी होने पर जिला पंचायती का चुनाव लड़ने की तैयारी भी करने लगे हैं। बैठकबाजी तेज हो गई है। सीट एससी होने की उम्मीद में पूर्व प्रधानों व सामान्य एवं ओबीसी पद के उम्मीदवारों से भी एससी उम्मीदवारों ने अब संपर्क बढ़ाना तेज कर दिया। हालांकि अभी पंचायत चुनावों में विभिन्न पदों के लिए दावेदारों को अभी तीन मार्च तक आरक्षण सूची का इंतजार करना पड़ेगा।
आरक्षण का प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के सभी डीपीआरओ लखनऊ बुला लिए गए हैं। डीपीआरओ को 16 और 17 फरवरी को आरक्षण के आवंटन की प्रक्रिया समझायी जाएगी। 18 और 19 फरवरी को डीपीआरओ जिले में आकर खंड विकास अधिकारियों को इस प्रक्रिया का प्रशिक्षण देंगे। अगले माह 14 मार्च को आरक्षण का अंतिम प्रकाशन करने की तैयारी सरकार द्वारा की गई है।