लखनऊ विश्वविद्यालय ने कृष्णा कॉन्वेंट कॉलेज में यौन उत्पीड़न से संबंधित एक कार्यक्रम 01/03/2021 को आयोजन हुआ। कार्यशाला की शुरूआत अनुपम द्वारा की गई। उन्होंने महिलाओं के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न से संबंधित जघन्य अपराधों के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया महिलाओं के शैक्षिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक है कि उनको भी पुरुषों के समान शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित वातावरण समाज द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए।
अदिति दीक्षित ने बताया कि जब हमारे देश के संविधान के द्वारा सभी को समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। तो फिर इसके उपरांत भी महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का शोषण या असमानता का दर्शाया जाना पूर्णता कानूनी अपराध है। कालेज के शिक्षक द्वारा क्रिमिनल एवं सिविल केस में अंतर पूछने पर अदिति ने बताया कि जब कोई अपराध किसी व्यक्ति के प्रति किया जाता है और उसका प्रभाव केवल एक ही व्यक्ति पर पड़ता है तो वह सिविल केस के अंतर्गत आएगा। मुख्य वक्ता अदिति दीक्षित ने महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न से संबंधित जानकारी को बहुत ही सरल एवं सुलझे हुए शब्दों में कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं को समझाने का सफल प्रयास किया। उन्होंने बताया कि हमारे समाज में महिलाओं के शारीरिक शोषण से संबंधित अनेकों मामले होते हैं जो कि कभी भी सामने नहीं आते हैं। यह डर होता है कि कहीं ऐसा न हो कि उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाए या फिर उनके कारण उनके परिवार को भी सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़े।
मनीष तिवारी ने शारीरिक शोषण से संबंधित प्रकारों का वर्णन किया। यदि कोई व्यक्ति आपके साथ शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न करने का प्रयास करता है।फिर चाहे वह महिला अथवा पुरुष तो आप उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त मनीष तिवारी ने ICC एवं LCC की विस्तृत जानकारी प्रदान की । उन्होंने बताया कि lCC और LCC में महिलाओं की भागीदारी कम से कम 50 प्रतिशत होनी ही चाहिए । एवं उसमें महिलाओं की कोई अधिकतम संख्या निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने बताया प्रत्येक वह संगठन जिसमें दस से अधिक लोग कार्य करते हैं। उसमें LCC ही होनी चाहिए तथा उसका उत्तरदायित्व बनता है कि वह स्वयं अच्छी नीतियां बनाएं। इसके लिए संस्था को खुद समय-समय पर छोटे-बड़े कार्यक्रम करने चाहिए। यौन उत्पीड़न से संबंधित किसी भी आपराधिक घटना के लिए संस्था को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्राचार्या मनोरमा सचान ने विधिक सहायता केंद्र के सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए और इस विषय पर उन्होंने भी अपने विचार प्रकट करते हुए कहा विधिक सहायता केंद्र विधि संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र एवं छात्राओं द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित जो यह कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।वह बहुत ही सराहनीय हैं एवं उन्होंने विधिक सहायता केंद्र के सभी उपस्थित सदस्यों के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ एवं वहां पर उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम को समाप्त किया। इसमें विधिक सहायता केंद्र के सदस्य वैभव जायसवाल, अनुपम गुप्ता , काव्या सिंह , युवराज सिंह, रीतम त्रिपाठी , मनीष तिवारी, सत्यम , आदिति दिक्षित, देव देवांग , अर्चिता, कृतिका सिंह ,मौजूद रहे।
अराधना मौर्या