लखनऊ विश्वविद्यालय में अम्बेडकर जयती पर हुआ भीमोत्सव का आयोजन....

Update: 2021-04-14 12:15 GMT


लखनऊ विश्वविद्यालय में अम्बेडकर जयती के अवसर पर तृतीय भीमोत्सव का आयोजन 13 व 14 अप्रैल 2021 कोरोना महामारी के कारण आनलाइन यूटूब के माध्यम से किया गया। जिसमें 13 अप्रैल को निबंध प्रतियोगिता के अंग्रेजी श्रेणी में इंडियन ला इंस्टीट्यूट, दिल्ली के विद्यार्थी निशीथ चंद्रचूर प्रथम स्थान व करिश्मा सिंह द्वितीय स्थान तथा हिंदी श्रेणी में सरताज सिंह, राजनीतिक विज्ञान विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय प्रथम स्थान पर रहे। क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर दीपक विजय भालेराव, माणिकचंद पहाड़े लॉ कॉलेज औरंगाबाद, महाराष्ट्र व अल्पेश कुमार, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार द्वितीय स्थान पर रहे।

आनलाइन माध्यम से 14 अप्रैल को प्रथम अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर की शुरुआत संकायाध्यक्ष प्रो.सी.

पी. सिंह व निदेशक, द्वितीय परिसर, लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो. बी. डी. सिंह के द्वारा तथा तीन वक्ताओं द्वारा संपन्न की गयी। प्रो. सी. पी. सिंह ने विद्यार्थीयों को अंबेडकर जी के विद्यार्थी जीवन में आयी कठिनाईयों से सीख लेकर स्वय के लक्ष्य को प्राप्त करने को कहा। क्योंकि बाबा साहेब ने सभी विपरीत परिस्थितियों में 32 डिग्रियो प्राप्त की। प्रो. बी. डी. सिंह ने अंबेडकर जी के भारतीय सविधान निर्माण में अग्रेजों व भारतीयों द्वारा सहमति तथा सामाजिक व आर्थिक सुधार सम्बन्धी देश निर्माण में योगदान के विषय में बताया। डॉ. विजय कुमार सरोज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने अंबेडकर जी के प्रयासों का सविधान में मानवाधिकारों व मौलिक अधिकारो के महत्व को बताया तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1966 में हुये मानवाधिकारों सम्बन्धी विवाद के निपटारण का स्वरुप भारतीय संविधान में 1950 में ही विद्यमान बताया।

डॉ. अनूप कुमार पांडेय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा कि अंबेडकर जी ने शिक्षा को ही परिवर्तन की कड़ी माना है। साथ ही ये भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अंबेडकर जी को अपने आदर्श के रुप में मान सकता है। तृतीय वक्ता डॉ. टी. पी. राही, हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, ने अंबेडकर जी के अध्यात्मिक जीवन का वर्णन किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के भीमोत्सव आयोजक सचिव डॉ हरीश चंद्र व डॉ अर्चना सिंह मौजूद रहें । जिन्होने बाबा साहब की स्मृति में विश्वविद्यालय सुंदरीकरण में पौधारोपड़ करने की घोषणा की। आयोजन में छात्र रविकेश, शशांक, विशाल, शिशिर, मोहित, अंकुश व शोध छात्र प्रिया, उग्रसेन, रत्नेश, दीपक, रमेश आदि का विशेष योगदान रहा।

अराधना मौर्या

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