उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने प्रदेश को जातियों के आधार पर चार हिस्सों में बांट कर चलाया अभियान
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को एक साथ लाने के लिए नई रणनीतियां बनाई है। बता दें कि इन नीतियों के तहत प्रदेश को चार हिस्सों में बांटकर सपा अभियान चलाने वाली है। जिसका सारा कार्यभार पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य राज्यपाल कश्यप को दी गई है।
बता दें कि कश्यप विधानसभा क्षेत्रवार कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं। साथ ही वह अति पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ता के घर भी जा रहे हैं। अभियान के जरिए जातीय गोलबंदी के साथ संबंधित विधानसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण की थाह भी ली जा रही है। इसकी शुरुआत पूर्वांचल से हुई है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिमों और पिछड़ी जातियों को हमेशा से अपना वोट बैंक का मजबूत आधार मानती आई है। परंतु विपक्षी दल किसी ना किसी तरह से अन्य जातियों पर कब्जा पाकर आगे निकलने में कारगर साबित होते हैं। आपको बता दें कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार के बाद समीक्षा में यह बात सामने आई कि अति पिछड़े वर्ग का वोटबैंक पार्टी हिस्से में नहीं आ पाया था। ऐसे में चुनावी समर शुरू होने से पहले ही इस बार इन जातियों की गोलबंदी शुरू हो गई है। सपा ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को लामबंद करने के लिए अभियान शुरू किया है। इसमें विधानसभा क्षेत्रवार अति पिछड़ी जातियों पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
बता दें कि इसके लिए राजपाल कश्यप सुल्तानपुर, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली में विधानसभा क्षेत्रवार सम्मेलन कर चुके हैं। वह आज वाराणसी, 28 को सोनभद्र, 29 को मिर्जापुर, 30 को भदोही और 31 जुलाई व एक अगस्त को प्रयागराज में रहेंगे। अति पिछड़ी जाति के लिए हुए एक-एक कार्य को बाकायदे मंच और दस्तावेज के जरिए उन तक पहुंचाया जा रहा है।
इतना ही नहीं बताते चलें कि अगले चरण में मध्य यूपी और फिर बुंदेलखंड में यह अभियान चलेगा। अंतिम चरण में पश्चिमी यूपी को शामिल किया गया है। पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति को लेकर सपा के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ भाजपा और बसपा ताल ठोंक रही है तो दूसरी तरफ अलग-अलग जाति के नए संगठन भी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे में सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जरिए इस आधार वोटबैंक को सहेजने में जुट गई है।
अति पिछड़ी जातियों में केवट, मल्लाह, बिंद, लोहार, कुम्हार, कहार, माली, बियार, बारी आदि जातियां अलग-अलग सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। प्रदेश का जातीय गणित देखा जाए तो करीब 52 फीसदी वोटबैंक पिछड़ी जाति का माना जाता है। इसमें करीब 42 फीसदी गैर यादव वोटबैंक है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछड़ा वर्ग को आकर्षित करने में कामयाब रही है। यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सपा इस वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने को लेकर चौकन्नी हो गई है।
नेहा शाह