सारी कहानी हो गयी पर राम किसके पुत्र है ये पता ही नहीं चला | इस तरह की कहानी सुनाने का क्या फायदा जहाँ पर मुख्य पात्र या सूचना लोगो तक प्रभावशाली तरीके से न पहुचे |यही हाल इस बार कोरोना वायरस की कहानी का हुआ | सारी कहानी हो गयी तो हजारो की संख्या में विभिन्न प्रान्तों के मजदूर कोरोना काल में अपने घर की ओर चल पड़े |
अब कहानीकार को दोष दे या फिर सुनने वाले को | कहानी सुनाने वाले लोगो में सरकार , मीडिया और सोशल मीडिया के वीर है जो लगातार कहानिया सुना रहे है पर उनकी कहानी का जो असर आम लोगो पर होना चाहिए वो हो नहीं रहा है|
कही कोई अपने पांच साल की बेटी का हाँथ पकडे पांच सौ किलोमीटर पैदल चलने को निकल पड़ा है | माना की आप चल लेंगे पर उस पांच साल की बच्ची के बारे में चलने के पहले क्यों नहीं ख्याल किया की क्या वो पांच सौ किलोमीटर की यात्रा तय कर लेगी | इसका मतलब है की ज्यादातर लोगो ने ये मान लिया है की उनकी मौत ही क्यों न हो जाए वो इस यात्रा पर निकलेंगे ही |
अगर यात्रा कर के मौत को गले लगाने की चाहत मजदूर वर्ग में आया तो ये किसकी गलती है | केजरीवाल जी हर दो मिनट पर टीवी और उपराज्यपाल के साथ दिखाई दे रहे है और एक से एक योजना बता रहे है |
उनकी योजना भविष्य काल की है पर वर्तमान से उन्होंने नजर हटा लिया है | अरे जनाब आपसे तो ज्यादा अच्छी स्थिति में कोई भी मुख्य मंत्री नहीं है | आप के राज्य की ज्यादातर जनसंख्या धनी और भारत के राजनीति , शिक्षा , पोलिस , कानून , व्यापार से जुड़े बड़े लोग है और आपको इनकी चिंता नहीं करनी थी |
आप जैसे पढ़े -लिखे मुख्यमंत्री की पहली प्राथमिकता यही मजदूर होने चाहिए थे जो आपकी नजरो से ओझल हो गए | आप ने कमाल का काम किया पूरी सरकार अमीरों को बचाने में लगी है और गरीबो के बारे में सिर्फ घोषणा | अरे जनाब अगर आपका उद्देश्य सही था तो इन मजदूरों को अस्थायी निवास बना कर खाने पीने के सुविधा क्यों न दे दी | आप के राज में तो केंद्र भी है और आप भी |
आज पूरा भारत आपके गुण गाता अगर आपने इन मजदूरों को रोककर इन्हें ये एहसास कराया होता की ये उनकी सरकार है और हर कीमत पर उनके साथ है | वादे करते रहिये , टीवी पर चमकते रहिये पर अगर भारत में कोरोना का सामुदायिक प्रवेश हो गया तो इसके लिए आप भी जिम्मेदार होंगे |