लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढऩे से एमसीई इंडस्ट्री को मिलेंगे 25,000 करोड़ के वार्षिक अवसर
सरकार की ओर से इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक जोर दिए जाने के कारण माइनिंग और कंस्ट्रक्शन उपकरण (एमसीई) इंडस्ट्री के लिए 25,000 करोड़ रुपये के वार्षिक अवसर वित्त वर्ष 2030 तक उपलब्ध होंगे। एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
आईसीआरए की रिपोर्ट में बताया गया कि एमसीई इंडस्ट्री में अगले पांच से सात वर्षों में उपकरणों का स्थानीयकरण 50 से 70 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा और इसका नेतृत्व अंडरकैरिज और प्रीसीजन हाइड्रोलिक जैसे उपकरणों द्वारा किया जाएगा।
भारत की माइनिंग और कंस्ट्रक्शन उपकरण (एमसीई) इंडस्ट्री बिक्री किए जाने वाले उपकरणों के वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया में तीसरे नंबर पर है।
भारत द्वारा अपनी जरूरतों का 50 प्रतिशत (वैल्यू के आधार पर) चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों से आयात किया जाता है।
आयात किए जाने वाले उपकरणों में हाइड्रोलिक, अंडरकैरिज और हाई-टेक इलेक्ट्रोनिक्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट्स (ईसीयू), सेंसर टेलीमेटिक्स शामिल है।
आईसीआरए के सेक्टर हेड- कॉरपोरेट रेटिंग्स ऋतु गोस्वामी ने कहा, हमारा मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। ऐसे में सरकार आने वाले समय में इंस्ट्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर जारी रखेगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस सेक्टर में आयात पर निर्भरता काफी अधिक है और भारत में इन उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक अच्छा बेस तैयार हो गया है, जिससे आने वाले समय में कंपनियों के लिए विकास के काफी अवसर हैं।
गोस्वामी ने कहा कि स्थानीयकरण बढऩे से सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपूर्ति श्रृंखला के लिए पैदा होने वाले वैश्विक जोखिमों का खतरा कम हो जाएगा और देश में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय एमसीई इंडस्ट्री की वॉल्यूम में सालाना आधार पर 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।