राजस्थान के दौसा में जिंदा लोगो का क्लेम उठाकर मौज करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया।देश मे जिन तीनो सशक्त माध्यम पर समाज पूरा भरोसा करता है वे ही धोखाधड़ी करने वाले निकले।हार्ट और केंसर की मौतों को एक्सीडेंट बताकर क्लेम उठा लेते थे।जिनके नाम क्लेम उठगया वो जिंदा है।डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप है।पुलिस जनता की रक्षक है और वकील से समाज न्याय की उम्मीद करता है।इसी वकील के भरोसे अपने परिवार के सदस्य का केस सुपुर्द करते है।जिन्होंने मिलकर समाज सरकार को धोखा दिया है।जिंदा व्यक्ति की मौत बता कर क्लेम उठा लिया गया।ये सब समाज पर काला धब्बा है।
दौसा एसपी ने 15 लोगो को गिरफ्तार किया है और 8 फरार चल रहे है।डॉक्टर,पुलिस और वकील के पेशे पर कालिक पोछ ने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त गुनहगारों ने समाज को धोखा दिया है।आज सबसे ज्यादा लोग डॉक्टर पर भरोसा करते है।डॉक्टर को नेक्स टू गॉड कहा गया है।अब भरोसा कर तो कैसे करे।भोगवाद और लालच के पीछे दौड़ते समाज को नैतिकता का कोई मूल्य नही रहा है।आज समाज मे नैतिक मूल्यों का पतन हुआ है।भोगवादी संस्कृति ने समाजवाद को कोसो पीछे धकेल दिया है।किसी को शर्म नही बची है।समाज में अधोपतन विधमान है।फर्जी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट तैयार करने वाले तमाम कर्मचारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।जिससे समाज को संदेश पहुँचे।
यह संदिग्ध घटना है।फिर से कभी प्रकाश में नही आये उसके लिए उन करतूत धारियों को सजा होनी चाहिए।नेचुरल डेथ को एक्सीडेंट बताकर 2016 से कोभांड चलाया जा रहा था।पुलिस ने साधारण मौत को एक्सीडेंट बताकर एफआईआर लगा दी।2019 में केस रीओपन किया गया।जिसमें फर्जीवाड़ा सामने आया।अपने पेशे को बदनाम कर लोगो का सशक्त विभाग से विश्वास उठाने की कुचेष्टा करने वाले लोगो को सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए।ऐसे लोगो से सावधान रहना चाहिए।इस आपराधिक घटना पर ध्यान केंद्रित कर सजा होनी बहुत जरूरी है।