लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में पत्रकारिता हर क्षेत्र में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है
अयोध्या। हिन्दी पत्रकारिता भारतीय संस्कृति की अमिट पहचान बन चुुकी है। इस पत्रकारिता ने आज 197 वर्ष पूरे कर लिए है। इसका श्रेय पं. जुगल किशोर शुक्ल को जाता है। उन्होंने ही उदंत मार्तण्ड साप्ताहिक समाचार की शुरूआत कर हिन्दी पत्रकारिता की नींव रखी। पं. शुक्ल के आदर्श एवं मापदण्ड आज भी प्रासगिंक एवं अनुकरणीय है। उक्त बातें डाॅ0 राममनोहर लोहिया
अवध विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में आयोजित हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर एमसीजे समन्वयक डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी ने कही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे चैथे स्तम्भ के रूप में पत्रकारिता हर क्षेत्र में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। विशेषकर इसमें परम्परागत मीडिया की भूमिका महती है।
पत्रकार देश के प्रहरी होते है। राष्ट्र निर्माण में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में डाॅ0 राज नारायण पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता एक समृद्ध साहित्यिक परम्परा का वाहक रही है। स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी पत्रकारिता के योगदान को भुलाया नही जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का इतना लम्बा सफर कई चुनौतियों से भरा रहा। उन सभी बाधाओं को पार कर हिन्दी पत्रकारिता अपनी विश्वसनीयता को बनाये हुए है।
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर छात्र-छात्राओं ने भी संबोधित किया। जिसमें तन्या सिंह ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का श्रेय उदंत मार्तण्ड को दिया जाता है। 30 मई, 1826 को मंगलवार के दिन ही शुरूआत हुई थी और संयोग से आज भी 30 मई, 2023 मंगलवार है। उदंत मार्तण्ड भारतीय महादीप का पहला समाचार पत्र था।
कार्यक्रम में रोशनी कुमारी ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता ने कई प्रतिबन्धों को पार करते हुुए इसने बड़ा सफर तय किया है। स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण भमिका का निर्वहन किया है। छात्र अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि हिन्दी भाषा अनमोल है।
यह ज्ञान एवं सूचना की प्रमुख संवाहिका है। कार्यक्रम में संदीप शुक्ल ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता ने अपना परचम उस समय स्थापित किया जब अंग्रेजी, उर्दू, फारसी और बंगला भाषाओं को वर्चस्व रहा। उदंत मार्तण्ड समाचार पत्र आर्दश पत्रकारिता का दर्पण है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 राज नारायण ने किया।
इस अवसर पर लालजी मौर्य सहित छात्र-छात्राएं मौजूद रही।