भाषा विश्वविद्यालय: 10वें दीक्षांत समारोह में मिले 146 पदक, छात्रों में दिखा उत्साह

Update: 2025-10-14 14:27 GMT


ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। सीतापुर हरदोई रोड स्थित ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में माननीय कुलपति महोदय प्रो॰अजय तनेजा के मार्गदर्शन में 10वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता  कुलाधिपति एवं राज्यपाल, उत्तर प्रदेश श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा किया गया। समारोह की शुरुआत शोभा यात्रा के साथ प्रारम्भ हुई जिसका नेतृत्व कुलसचिव, डॉ महेश कुमार ने किया । शोभा यात्रा के पश्चात विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रगीत वंदेमातरम् प्रस्तुत किया। जिसके उपरांत कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए  कुलपति  प्रो अजय तनेजा द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कुलाधिपति  एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को पुष्प भेंट किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका में पद्म श्री मुजफ्फर अली, फ़िल्म निर्माता, फैशन डिजाइनर, कवि और कलाकार रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री योगेंद्र उपाध्याय, मा॰ उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं श्रीमती रजनी तिवारी, मा॰ राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

समारोह में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने 10वें दीक्षांत में आए सभी आगंतुकों का स्वागत किया। कुलपति ने कहा कि माननीय राज्यपाल के मार्गदर्शन से भाषा विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थी चरित्र निर्माण कर रहें है जिससे विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। भाषा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहें हैं। वहीं उनके द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या भी प्रस्तुत की गई ।

कुलपति ने बताया कि विवि में इस वर्ष टीबी के 75 रोगियों को गोद लिया गया। इस साल स्नातक, परास्नातक और पीएचडी के कुल 1441 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी जिनमें 1393 को सफल घोषित किया गया। छात्राओं का पास प्रतिशत 97.4 और छात्रों का 96.8 फीसदी रहा। इस साल समारोह में कुल 146 पदक प्रदान किए गए हैं। इनमें 63 स्वर्ण पदक, 42 रजत पदक और 41 कांस्य पदक हैं। इनमें 99 पदक छात्राओं के हिस्से गए हैं। इस साल विवि ने अपना एनसीसी बैंड शुरू किया है। दीक्षांत समारोह में इसी बैंड ने माननीय राज्यपाल और अन्य अतिथियों का स्वागत किया। इस साल विश्विद्यालय में दाखिलों की स्थिति अच्छी रही और रिकॉर्ड 2440 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया जो पिछले साल से 750 अधिक रहे। इस समय विश्वविद्यालय में 5400 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

यहां 21 राज्य और छह धर्मों के विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इसी के साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा अवधी शोधपीठ और आईकेएस के माध्यम से अवध क्षेत्र की लोकसंस्कृति और भाषा के विकास के लिये कार्य किया जा रहा है। भाषा विश्वविद्यालय आगामी सत्र से हिन्दू अध्ययन की पढ़ाई की जायेगी। इसके अलावा सिविल में एमटेक और भूगोल में डिप्लोमा कोर्सेज भी जल्द प्रारम्भ करने की योजना है। भाषा विवि लीगल एड क्लीनिक के माध्यम से आसपास के गांवों में लोगों को निःशुल्क सलाह दी जा रही है। भाषा विवि गोद लिए बच्चों को बाल पाठशाला के माध्यम से लाभान्वित किया जा रहा है। दीक्षांत समारोह के दौरान कुलाधिपति माननीय राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी उपाधियां डिजी लॉकर पर अपलोड कीं।

समारोह के दौरान अल्लू नगर डिगुरिया के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रम पेश किया।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने पदक और डिग्री प्राप्तकर्ताओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और उपाधि प्राप्तकर्ताओं के माता पिता को भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी होगी, आप उससे पीछे न हटें। आपके व्यवहार और संस्कार से आपके संस्थान और परिवार की पहचान होती है। इसलिए उसके हिसाब से व्यवहार करते रहें।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने अपने भाषण में कहा कि महान संत के नाम पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि आप की सफलता सिर्फ आपकी नहीं है। आपके माता पिता ने त्याग और संघर्ष करके यहां तक पहुंचाया है। उन्होंने आपके कल के लिए अपना आज होम किया है। आपको मेडल मिले हैं आप अब समाज के लिए मॉडल बनें। आपको ऐसा वट वृक्ष बनना होगा जो हर क्षेत्र के लिए ऐसे बीज दे जो उस क्षेत्र को आगे बढ़ाए। डिग्री सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं है। आपको समाज का भी ध्यान रखना होगा। शिक्षा संस्कार देती है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार मानव जीवन के लिए शिक्षा या संस्कार नहीं बल्कि संस्कारयुक्त शिक्षा जरूरी है। जिस क्षेत्र में आगे जाएं वहां उत्कृष्टता का चरम स्थापित करें।

मुख्य अतिथि फिल्मकार मुजफ्फर अली ने दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि गर्व महसूस कर रहा हूं कि ऐसे विश्विद्यालय में बुलाया गया है जो ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के नाम पर है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि पढ़ाई के लिए दो चीजें अहम हैं संतुलन और मानवता। इन दो के बिना पढ़ाई बेकार है।

भाषा बेहद अहम हैं। भाषा एक जमाने से दूसरे जमाने को जोड़ती है। यह एक समाज और एक व्यक्ति को दूसरे से जोड़ती है। अपने देश में काफी भाषाएं बोली जाती हैं। दूसरे देश में जाते हैं तो वहां दूसरी भाषाएं बोली जाती हैं। वहां हम दिल की भाषा से जोड़ सकते हैं। अपने बारे में बात करते उन्होंने कहा कि हम फनकार हैं दिल की जबान समझते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक ' जिक्र ' की चर्चा करते हुए कहा कि उनमें लोगों से मुलाकात के दौरान निकलकर आई बातें और उनकी विशेषता की चर्चा है। हमें हर शख्स में कुछ न कुछ दिखाई देता है। हम कैसे उनकी विशेषता को निकाल सकते हैं। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि आपके सामने आपका भविष्य है। एक लक्ष्य है विकसित भारत का, जिसे आप पूरा करने का प्रयास करें।।

मुख्य अतिथि ने -

ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ।

कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ।

शेर के साथ अपना भाषण समाप्त किया।

 राज्यपाल ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि यह दिन विश्वविद्यालय के लिए गौरव का दिन है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फर अली ने फिल्मों का मनोरंजन के साथ ही समाज के चित्रण के रूप में उपयोग किया। फिल्म जगत के कुछ कोर्स रखने चाहिए जिससे कि छात्र वहां जा सकें। मुख्य अतिथि से उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि आप गुजरात से हैं और उस क्षेत्र से हैं जहां की मैं दो बार विधायक रही।

आज सभी विश्विद्यालय ने डिजी लॉकर की सुविधा है। इससे सभी घर बैठे डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। आज 99 पदक बेटों के हिस्से आईं। बेटे बेटियों दोनों को पढ़ना और बढ़ना होगा। तकनीक का सहारा लेकर आगे बढ़ें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लोग आगे बढ़ रहे हैं। इसका उपयोग सावधानी से करें। शोध में इसका इस्तेमाल न करें न कि किसी की फोटो लेकर उसके साथ खिलवाड़ करें।

पहले महिला को पहले कमजोर माना जाता था। पढ़ाई में बाधाएं थीं। शादी करने और घर में रहने का दबाव था। आज बेटियां सब करते हुए आगे बढ़ रहीं हैं। युवा पीढ़ी को इसके लिए बधाई। माता पिता को पूछना चाहिए कि बच्चे क्या करना चाहते हैं। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सजग, जिम्मेदार, कर्मठ और देशप्रेम की भावना पैदा करना है। प्राचीन समय से शिक्षा पूर्ण होने पर गुरु समारोह में विद्यार्थी को संदेश देता था। इसी का आधुनिक रूप दीक्षांत हैं। आज यह परंपरा दूषित हो रही है।

शिक्षक और शिष्य एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। क्लास में शिष्यों की कम संख्या हमारी परंपरा नहीं है। इसलिए कड़े नियम बनाएं हैं। अगर उपस्तिथि 75 फीसदी होने पर ही परीक्षा में बैठ सकेंगे। सरकारी नौकरी तलाशना हमारा काम नहीं है। हमें दस को नौकरी देने लायक बनना चाहिए। अभिभावक भी ध्यान दें। अगर बच्चे नहीं आ रहे तो उनके घर पर फोन करें। अनुशासन जरूरी है। शिक्षकों से कहा कि वे भी अनुशासन का पालन करें। अब तक की परीक्षा में सबने एक ही परीक्षा दी, लेकिन जब आप जीवन की वास्तविक यात्रा पर जाएंगे तो परीक्षा और सवाल अलग होंगे। वहीं से आपकी असली परीक्षा शुरू होगी। इनके लिए ध्यान के साथ ही विवेक चाहिए। विवेक ही व्यक्ति को समस्या से निपटने लायक बनाता है। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को जाग्रत करना है। उन्होंने कुलपति से कहा कि नैक में बी प्लस प्लस ग्रेड पर्याप्त नहीं है। दो साल में दोबारा आवेदन करके ए या ए प्लस प्लस ग्रेड लाने के लिए कहा। एनआईआरएफ में भी आवेदन करें।

दशम दीक्षांत समारोह में प्रो सौबान सईद, डॉ अताउर रहमान, डॉ नलिनी मिश्रा और डॉ शावेज़ अली सिद्दीकी को राज्यपाल महोदया द्वारा उत्कृष्ठ योगदान के लिए सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में अल्लूनगर गांव के विद्यालय के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।

दीक्षांत समारोह का संचालन डॉ. नीरज शुक्ला ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. महेश कुमार, वित्त अधिकारी संजीव गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक विकास, प्रो चन्दना डे, प्रो मसूद आलम, प्रो हैदर अली, प्रो तनवीर ख़दीजा, डॉ. आरिफ अब्बास, डॉ काज़िम रिज़वी सहित समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी।

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