विश्व अरबी भाषा दिवस के अवसर पर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
विश्व अरबी भाषा दिवस के अवसर पर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के अरबी विभाग के तत्वावधान में “डिजिटल युग में अरबी भाषा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में भारत, क़तर और यमन सहित विभिन्न देशों के ख्यात अरबी भाषा विशेषज्ञ, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अरबी भाषा एक वैश्विक, जीवंत और बहुआयामी भाषा है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, शोध और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा ने कहा कि अरबी भाषा में अपार संभावनाएँ मौजूद हैं और उत्तर प्रदेश सरकार ने इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक के विद्यार्थियों के लिए अरबी और फ़ारसी भाषा सीखना अनिवार्य किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बीजगणित (अलजेब्रा) और रसायन विद्या (अलकेमी) जैसे विषय अरब विद्वानों के माध्यम से यूरोप तक पहुँचे। मुख्य अतिथि प्रोफेसर रिज़वान रहमान (जेएनयू) ने बच्चों और युवाओं को अरबी भाषा के साथ-साथ आधुनिक तकनीक सीखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि डिजिटल दुनिया में अरबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आधुनिक पाठ्यक्रम, ऑनलाइन कोर्स और शोध एवं अनुवाद परियोजनाएँ अत्यंत आवश्यक हैं। प्रोफेसर शम्स कमाल अंजुम ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अरबी भाषा में डेटा बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन रही है। विशिष्ट अतिथि मरियम यासीन अल-हमादी ने कहा कि वर्तमान युग में अरबी भाषा को परिणामोन्मुख बनाने के लिए निरंतर परिश्रम और तकनीक का सही उपयोग आवश्यक है। विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ.अनीस अंसारी ने कहा कि कोई भी भाषा तभी विकास करती है जब उसे रोज़गार से जोड़ा जाए, और इस दिशा में अरब देश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने अरबी भाषा की ऐतिहासिक सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अंकों की प्रणाली अरबों ने भारत से ग्रहण की, जो बाद में यूरोप तक पहुँची। यमन से पधारे विद्वान प्रोफेसर अली मुबारक अल-हमीस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विश्व की विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध महत्वपूर्ण शैक्षणिक पुस्तकों का अरबी भाषा में अनुवाद किया जाना अत्यंत आवश्यक है। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. मोहम्मद मुदस्सिर ने की, जबकि संचालन का दायित्व डॉ. मुज़म्मिल करीम ने निभाया। इस सत्र में कई शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। उद्घाटन एवं समापन सत्र का संचालन डॉ. आयशा शहनाज़ फ़ातिमा ने किया। अरबी विभागाध्यक्ष ने सभी सम्मानित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया, जबकि विभाग के शिक्षक डॉ. अब्दुल हफ़ीज़ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। अंत में क्विज़ सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विद्यार्थियों और प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।