"राजा हरिश्चंद्र" फिल्म के रिलीज होने के 110 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
लखनऊ, 21 अप्रैल। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में "अंडरस्टैंडिंग सिनेमा - अ फिल्म अप्रिशिएशन वर्कशॉप" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला अवध चित्र साधना, मीडिया और संचार स्कूल तथा संस्थागत नवाचार परिषद (इंस्टीट्यूशनल इनोवेशन काउंसिल) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
भारत की पहली फिल्म "राजा हरिश्चंद्र", 21 अप्रैल 1913 को पहली बार लोगो के सामने दिखाई गयी थी और इसके 110 वर्ष पूरे होने पर आयोजित इस कार्यक्रम के वक्ता भारतेंदु नाट्य एकेडमी लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ अरुण त्रिवेदी जी तथा प्रोफेसर गोविंद जी पांडेय, संकाय अध्यक्ष, मीडिया और कम्युनिकेशन स्कूल थे।
प्रो पांडेय ने बताया की किस तरह सिनेमा निर्माण के लिए दादा साहेब फाल्के अपना सब कुछ गिरवी रख देते है और फिल्म के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लेते है | उन्होंने बताया कि कैसे दादा साहेब की आँखे फिल्म देखने के कारण और अत्यधिक काम से ख़राब हो जाती है पर वो इलाज करा कर फिर से बिना अपनी परवाह किये फिल्म निर्माण में लग जाते है |
उन्होंने बताया की समाज की सोच सिनेमा को लेकर सकारात्मक नहीं थी एक समय महिला पात्र के लिए जब खोज चल रही थी तो सभी स्त्रियों ने उसमे काम करने से मन कर दिया था |
प्रोफेसर गोविंद जी पांडेय जी ने कहा कि हमें सिनेमा केवल मनोरंजन के लिए नहीं देखना है उसके भाव को भी समझना है। उन्होंने कहा कि महापुरुष परिस्थितियों की शिकायत नहीं करते, संघर्ष करते हैं और हम लोगों को भी संघर्ष करने की आवश्यकता है।
प्रोफेसर पांडेय ने कहा, "सिनेमा में समय -समय पर समाज को आइना दिखाने के साथ ही सभी आयामों को दर्शाया गया है। समाज के सांस्कृतिक तथा राजनीतिक सभी मूल्यों को सिनेमा के माध्यम से जाना जा सकता है।"
डॉ अरुण त्रिवेदी जी ने कहा कि सिनेमा में भाषा व सेल्फ इंप्रेशन बहुत मायने रखता है। नजरिया आपके ज्ञान से पैदा होता है। उन्होंने कहा, " सतीश कौशिक, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और राजपाल यादव जैसे बड़े कलाकारों से हमें सीखने की जरूरत है ,और कभी हार नही मानते हुए परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ना है।"
इस कार्यक्रम में प्रोफेसर गोविंद जी पांडेय जी ने 23, 24 और 25 फरवरी 2024 को होने वाले 5वें चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के बारे में छात्रों को बताया। ।
इस फेस्टिवल में "नारी सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, समरसता, पर्यावरण, भविष्य का भारत, जनजातीय समाज, ग्राम विकास और वसुधैव कुटुंबकम्" विषय पर वृत्तचित्र, शॉर्ट फिल्म्स, बाल फिल्में तथा कैंपस फिल्म्स बना कर अंतिम तिथि से पूर्व जमा करनी होगी।
इसके अलावा बाल चलचित्र, "पराक्रमी बच्चे, बाल शिक्षा में नवाचार और नैतिक शिक्षा" विषय, से संबंधित फिल्में भी इसका हिस्सा बन सकती हैं। पंचकुला हरियाणा में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्नं श्रेणी में विजेताओं को 10 लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री अरुण त्रिवेदी जी, प्रोफेसर गोविंद जी पांडेय, डॉ कुंवर सुरेंद्र बहादुर,डॉ लोकनाथ, डॉ. अरविन्द कुमार सिंह ने सभी छात्रों और शोधार्थियों के साथ ऑस्कर प्राप्त डॉक्यूमेंट्री "दी एलीफेंट विस्परर्स" देखी।