भाषा विश्वविद्यालय में ‘76वां संविधान दिवस—हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ समारोह आयोजित
लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में विधि अध्ययन संकाय द्वारा 76वां संविधान दिवस—हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान समारोह गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिज़वी, लखनऊ विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर बंसी धर सिंह, अधिवक्ता मननजय कुमार मिश्र तथा विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस वर्ष समारोह का विषय था — साइबर फॉरेंसिक और संविधान: गोपनीयता, निगरानी एवं डिजिटल अधिकार।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा ने अतिथियों, संकाय सदस्यों और छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि न्यायाधीश, प्रोफेसर और अधिवक्ता — इन तीनों का एक पैनल इस विषय की संवैधानिक, तकनीकी और कानूनी जटिलताओं को समझने के लिए आदर्श है। उन्होंने डिजिटल युग में संवैधानिक मूल्यों की प्रासंगिकता पर बल देते हुए सभी को संविधान दिवस की शपथ भी दिलाई।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिज़वी ने 2017 में गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित किए जाने की पृष्ठभूमि समझाई और डिजिटल युग में बढ़ते गोपनीयता संकटों पर प्रकाश डाला। आयुषी तलवार और शीना बोरा हत्याकांड जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार डिजिटल फॉरेंसिक उन मामलों में भी सच उजागर करती है, जहाँ पारंपरिक तरीके विफल हो जाते हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों द्वारा निगरानी और नागरिक के गोपनीयता अधिकार के बीच संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया। डिजिटल डेटा में हेरफेर की संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने सेक्शन 65बी प्रमाणन की अनिवार्यता को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस निगरानी को जन-सर्वेक्षण का उपकरण नहीं बनाया जा सकता और साइबर फॉरेंसिक एक विकसित होता हुआ विधिक क्षेत्र है।
अतिथि–सम्माननीय प्रोफेसर बंसी धर सिंह ने साइबर अपराधों के तेज़ी से बदलते स्वरूप और इसे संवैधानिक दृष्टि से समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने गोपनीयता के वैश्विक इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया कि 1890 में हार्वर्ड से इसकी अवधारणा प्रारंभ हुई और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 12 ने वैश्विक स्तर पर गोपनीयता के अधिकार को मजबूती प्रदान की, जिसका प्रभाव भारत के साइबर कानूनों पर भी पड़ा।
विशेष अतिथि अधिवक्ता मननजय कुमार मिश्र ने गोपनीयता की अवधारणा को मनुस्मृति जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों से जोड़ते हुए बताया कि प्रारंभिक वर्षों में भारतीय न्यायालयों ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दी थी, परंतु पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक निर्णय ने इसे संविधान के भाग तीन के अंतर्गत एक स्वतंत्र और व्यापक मौलिक अधिकार घोषित किया।
विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को डॉ. श्वेता त्रिवेदी द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष डॉ. पियूष कुमार त्रिवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी अतिथियों, प्राध्यापकों, आयोजकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।
आयोजन समिति में मिस्टर आशीष शाही, डॉ. कृष्ण मुकुंद और मिस तान्या सागर शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन अमन कुमार त्रिपाठी ने किया।
संविधान दिवस के अवसर पर विधि अध्ययन संकाय के डीन प्रोफेसर मसऊद आलम ने एक वीडियो संदेश जारी कर विद्यार्थियों से जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार अपनाने का आग्रह किया।