संसद प्रश्न: अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु विश्वविद्यालयों को समर्थन
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) विश्वविद्यालयों में अनुसंधान से संबंधित इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से एक समर्पित कार्यक्रम लागू कर रहा है, जिसे प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस (पीआरएसई) कहा जाता है। अब तक पीआरएसई के तहत, डीएसटी ने 1227 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ बयासी (82) विश्वविद्यालयों को समर्थन प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, पीआरएसई 2024 के तहत समर्थन के लिए नौ और विश्वविद्यालयों का चयन एवं अनुशंसा की गई है।
इसके अलावा, “विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोष" (डीएसटी-एफआईएसटी) के तहत, विभिन्न विश्वविद्यालयों के विभागों को वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए समर्थन प्राप्त होता है। अनुसंधान संबंधित सुविधाएं प्राप्त करने हेतु डीएसटी का समर्थन परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधा (एसएआईएफ) केन्द्रों तक बढ़ाया गया है; इनमें से कई केन्द्र विश्वविद्यालयों में स्थित हैं। नवाचार एवं उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालय अनुसंधान का समेकन (सीयूआरआईई) कार्यक्रम बुनियादी और व्यावहारिक विज्ञान में अनुसंधान सुविधाओं का समर्थन करके विशिष्ट महिला विश्वविद्यालयों को सशक्त बनाता है।
पूर्ववर्ती विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (अब अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ)) की राज्य विश्वविद्यालय अनुसंधान उत्कृष्टता (एसयूआरई) योजना का उद्देश्य राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ावा देना है। एसयूआरई योजना के तहत, विश्वविद्यालय अनुसंधान को मजबूत करने हेतु 117.8 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 425 परियोजनाओं को समर्थन प्रदान किया गया है।
हाल ही में, एएनआरएफ ने विश्वविद्यालय अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए त्वरित नवाचार एवं अनुसंधान (पीएआईआर) कार्यक्रम के लिए साझेदारी शुरू की है। यह कार्यक्रम अनुसंधान सहयोग, ज्ञान साझाकरण और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने हेतु शीर्ष स्तरीय संस्थानों (हब) को उभरते संस्थानों (स्पोक) के साथ जोड़ता है। यह पहल शीर्ष स्तरीय संस्थानों के सहयोग से भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान संबंधी उत्कृष्टता को विकसित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) डीबीटी- बूस्ट टू यूनिवर्सिटी इंटरडिसिप्लिनरी लाइफ साइंस डिपार्टमेंट्स फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च प्रोग्राम (डीबीटी-बिल्डर) और साइंटिफिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सेस फॉर हार्नेसिंग एकेडेमिया यूनिवर्सिटी रिसर्च जॉइंट कोलैबोरेशन (डीबीटी-सहज) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से अनुसंधान संस्थानों में बुनियादी ढांचे के विकास में भी योगदान देता है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाना और नवाचार को बढ़ावा देना है।
डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, एमओईएस और एएनआरएफ अनुसंधान अनुदान, फेलोशिप और बुनियादी ढांचे के विकास पहल का समर्थन करके विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और तकनीकी परिदृश्य को आगे बढ़ाने में सहायक रहे हैं। इन संगठनों के पर्याप्त समर्थन ने देश के विश्वविद्यालय अनुसंधान से संबंधित इकोसिस्टम को काफी मजबूत किया है।
यह जानकारी केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।