कुलपति की अध्यक्षता में कानपुर विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस समारोह हुआ आयोजित
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा शिक्षक दिवस समारोह दिनांक 05 सितम्बर 2025 (शुक्रवार) को वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई प्रेक्षागृह, विश्वविद्यालय परिसर में सांय 03ः30 बजे से आयोजित किया गया था।
इस समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने की थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. शिशिर सिन्हा, महानिदेशक, केन्द्रीय पेट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, भारत सरकार रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि डॉ. वंदना पाठक, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य, कानपुर नगर उपस्थित रहीं। मंच पर विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे, जिनमें प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी (प्रति कुलपति), प्रो. राजेश कुमार द्विवेदी (निदेशक, महाविद्यालय विकास परिषद्), श्री राकेश कुमार (कुलसचिव), डॉ. अनुराधा कालानी (अधिष्ठाता, प्रोजेक्ट एण्ड एक्सटर्नल रिसोर्स जनरेशन) तथा डॉ. नमिता तिवारी (अधिष्ठाता, शोध एवं विकास प्रकोष्ठ) शामिल थे।
समारोह का शुभारम्भ राष्ट्रगीत एवं कुलगीत से हुआ, जिसके उपरान्त अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंटकर किया गया और मंचासीन महानभावों द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन करते हुए माननीय कुलपति जी ने शिक्षण में आधुनिक तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के समावेश पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन और पुराने तथा नए पीढ़ी के शिक्षकों के सामंजस्य से ही उच्च शिक्षा को नई दिशा दी जा सकती है।
इसके बाद प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि छात्र-शिक्षक संबंध शिक्षा का मूल आधार हैं। उन्होंने शिक्षण पद्धतियों के बदलाव को चॉक-डस्टर से चैटबॉट तक की यात्रा बताया और विश्वविद्यालय संचालन में PPP मॉडल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
इसके पश्चात् विशिष्ट अतिथि डॉ. वंदना पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय परंपरागत मूल्यों की रक्षा और नैतिक पतन को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आधुनिकता के साथ-साथ मूल्य-आधारित जीवन को अपनाने का आह्वान किया।
तत्पश्चात् मुख्य अतिथि प्रो. शिशिर सिन्हा ने शिक्षकों की भूमिका और उच्च शिक्षा की चुनौतियों पर अपना संबोधन प्रस्तुत किया और भारतीय शिक्षा प्रणाली के इतिहास और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रासंगिकता पर विचार रखे। उन्होंने मंदिर, शास्त्र और ऋषि परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदू दर्शन एवं पौराणिक ग्रंथ वास्तव में प्राचीन विज्ञान का स्वरूप हैं।
इसके बाद सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त 35 प्राध्यापकों को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में गतवर्ष सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रकाशित करने वाले 10 शिक्षकों को “श्री गोविन्द हरि सिंघानिया सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र अवार्ड” प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 62 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं, जिन्होंने आयोजन को और अधिक गरिमामय बना दिया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा प्रस्तुत संक्षिप्त शोध परिचय एवं नवीन उपलब्धियाँ भी साझा की गईं।
कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्रगान हुआ और विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री राकेश कुमार ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस पूरे समारोह का संयोजन एवं मंच संचालन डॉ. मानस उपाध्याय, सहायक प्राध्यापक, विश्वविद्यालय ने किया |