कला की अभिव्यक्ति के लिए भाषा सारथी का काम करती है - प्रो अजय जैतली

Update: 2025-09-11 13:44 GMT


कला मनुष्य में संवेदना पैदा करती है और भाषा समझ - प्रो विजय कुमार राय

गुरुवार को राजभाषा अनुभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, द्वारा आयोजित हिंदी पखवाड़ा उदघाटन समारोह में कला और हिंदी विषय पर बतौर मुख्य व्यक्ता प्रो अजय जैतली ने कहा कि कला की अभिव्यक्ति के लिए भाषा सारथी का काम करती है।

दृश्य कला विभाग एवं केंद्रीय सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष प्रो जैतली ने कि हमने रेखाओं को रंगों के सहारे समझा है पर उस समझ के पीछे हिंदी भाषा की बड़ी भूमिका है। भाषा और बोली कला की आत्मा हैं। कलाओं को भाषा से अनुपस्थित कर दिया जाए तो अभिव्यक्ति सशक्त नहीं होगी। जिस तरह समाज को समझने में भाषा हमारा साथ देती है उसी तरह कलाओं को समझने में भी शब्द हमारा साथ देते हैं।

भाषा भक्ति आंदोलन का माध्यम बनी तो उसमें भाव और संगीत भी हैं। लोकगीत और नाटकों के संवादों में भाषा का उच्चतम स्तर हैं। भाषा ने मनुष्य को कलाओं के नजदीक पहुंचाया है और हिंदी इसमें सर्वोपरि है। शहर के साहित्यकारों में महादेवी वर्मा और जगदीश गुप्त का जितना अधिकार कविता पर था उतना ही चित्रकला पर था । यह शहर कला और साहित्य का अद्भुत संगम है।

मुख्य अतिथि कला संकाय के अध्यक्ष और राजनीति विज्ञान के प्रो विजय कुमार राय ने कहा मानव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कैसे अपने आपको अभिव्यक्त करे। और अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा और कला है। कला और साहित्य मनुष्य में संवेदना और सौंदर्य पैदा करती है। इस कार्य में हिंदी और दृश्यकला का स्थान अग्रणी है। प्रो राय ने कहा हिंदी सहज और स्वीकार्य भाषा है। कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी भी परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रही है।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलसचिव एवं राजभाषा कार्यव्न्य समिति के अध्यक्ष प्रो आशीष खरे ने कहा कि हमारे सोचने की प्रक्रिया का आदि हिस्सा मातृभाषा में निहित होती है। कला भाषाओं के बंधन से मुक्त होती है। चित्र की भाषा का स्वतंत्र अस्तित्व होता है। हिंदी भाषा ने कला को समृद्ध करने महती भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के 75 वर्षों में हिंदी ने अपने को समृद्ध एवं विस्तृत किया है। दूसरी भाषा की महत्वपूर्ण पुस्तकों का अनुवाद हिंदी भाषा में करने की आवश्यकता है। प्रो खरे ने कहा आज के समय में चित्रों की भाषा को शब्दों में बदलना बहुत श्रमसाध्य काम है।

स्वागत एवं संयोजकीय वक्तव्य देते हुए प्रो कुमार वीरेंद्र ने कहा कि कला तीनों कालों का संयोजन करती है। कला का आधार जीवन और समाज है। इस आधार से प्रस्थान बिंदु ग्रहण करने में हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य व्यापक जगह उपलब्ध कराती है। प्रो बीरेंद्र ने कहा कि राजभाषा पखवाड़े के दौरान विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिए विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। राजभाषा अनुभाग हिन्दी के विकाश के कृत संकल्पित है।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बरगद कलामंच के कलाकारों द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति के साथ हुई।

उद्घाटन सत्र के बाद घटना आधारित अध्ययन केंद्रित प्रतियोगिता हुई जिसमें विश्विद्यालय के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम आभार ज्ञापन हिन्दी अधिकारी श्री प्रवीण श्रीवास्तव ने एवं संचालन हिंदी अनुवादक श्री हरिओम कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में प्रो. संतोष भदौरिया, डॉ अमृता , डॉ दीनानाथ, प्रो संजय श्रीवास्तव, डॉ अनिर्वाण कुमार, प्रो राहुल पटेल, प्रो संदीप आनंद, डॉ उमेश कुमार, डॉ सैनी , डॉ सुभाष शुक्ला,आनंद कुमार, संकट मोचन प्रदीप पार्थिव, आर्यन, सुमित, श्रवण समेत विभिन्न विभागों के अध्यापकगण, कर्मचारी, छात्र और शोधार्थी मौजूद रहे।

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