कानपुर: 23 सितंबर 2025 दिन मंगलवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर परिसर में स्थित औषधीय वाटिका में दसवें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना के साथ भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन वूमेन फोरम कानपुर और स्कूल ऑफ़ हेल्थ साइंसेज के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर कप्तान सिंह ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर निरंकार गोयल, डॉक्टर विजय दुबे, तथा कार्यक्रम के मुख्य सरंक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ वंदना पाठक और नीमा वीमेन फोरम के पदाधिकारियों ने भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉक्टर कप्तान सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आयुर्वेद का महत्व और जन सामान्य के बीच में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अभी और अधिक अनुसंधान और प्रचार की आवश्यकता है। हम सभी को मिलकर लोगों को और जागरुक करने एवं इस दिशा में अनुसंधान करना चाहिए। उन्होने विश्वविद्यालय की ओर से AI पर आयुर्वेद के डॉक्टर्स के लिए संयुक्त कार्यशालाएं एवं प्रशिक्षण कराने का प्रस्ताव भी दिया।
डॉक्टर निरंकार गोयल ने आयुर्वेद दिवस की महत्व को बताते हुए कहां आज दिन और रात दोनों बराबर होते हैं और आयुर्वेद में तीनों दोषों को सम रखना ही स्वास्थ्य का आधार है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य एवं सचिव नीमा वूमेन फोरम कानपुर उत्तर प्रदेश डॉक्टर डॉ वंदना पाठक जी द्वारा किया गया।
अपने सारगर्भित वक्तव्य में उन्होने आयुर्वेद की वैज्ञानिक पद्धतियों, औषधीय वनस्पतियों की उपयोगिता और महिला स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक शोध और जनजागरूकता से जोड़ना आज की आवश्यकता है। यह केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम भी है।” इस अवसर पर उपस्थित सभी अतिथियों को तुलसी पादप और शॉल के साथ सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में डॉक्टर नीरजा दुबे अध्यक्ष नीमा वूमेन फोरम कानपुर, डॉ प्रतिमा गुप्ता कोषाध्यक्ष नीमा वूमेन फोरम कानपुर, डॉ मुनीष रस्तोगी निदेशक स्कूल आफ हेल्थ साइंसेज, डॉक्टर राम किशोर, डॉ आदर्श श्रीवास्तव, डॉ नेहा शुक्ला, श्री राकेश कुमार आदि मौजूद रहे। पूरे कार्यक्रम का समन्वय डा नीरज दुबे एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रतिमा गुप्ता ने किया।
कार्यक्रम के दौरान वाटिका में आयुर्वेद के माध्यम से विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों में लाभकारी महाकषाय भी प्रदर्शित किए गए। डॉ वंदना पाठक ने सभी अतिथियों को उनके फायदे के बारे में विस्तार से बताया। उन्होने यह भी बताया कि वाटिका में 50 महाकषाय हैं जो आगे अनुसंधान के लिए प्रयुक्त भी हो सकते हैं।
वाटिका में बृहणीय महाकषाय - श्रमहर महाकषाय, - कण्ठ्य महाकपाय,- बल्य महाकषाय, - दाहप्रशमन महाकषाय, - प्रजास्थापन महाकपाय, - वयः स्थापन महाकषाय,- शुक्रशोधन महाकषाय, - सन्धानीय महाकषाय, - शोथहर महाकषाय, - शीतप्रशमन महाकषाय, - विषन महाकषाय, - शूलप्रशमन महाकषाय, - जीवनीय महाकषाय, - कृमिघ्र महाकषाय, - उदप्रतमन महाकषाय - स्तन्यशोधन महाकषाय, - शुक्रजनन महाकषाय,- संजान्थापन महाकषाय आदि हैं।