सेवा पखवाड़ा–स्वच्छोत्सव के अंतर्गत भाषा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का सामाजिक सरोकार: ओल्ड एज होम और अनाथालय का भ्रमण
कुलपति प्रो. अजय तनेजा जी के संरक्षण में ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में सेवा पखवाड़ा–स्वच्छोत्सव के अंतर्गत आज शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा दो महत्वपूर्ण सामाजिक भ्रमणों का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को सेवा, सहयोग और संवेदनशीलता के मूल्यों से जोड़ना तथा उन्हें समाज की वास्तविकताओं से प्रत्यक्ष परिचित कराना रहा।
ओल्ड एज होम में संवेदनाओं का संवाद
प्रथम कार्यक्रम के अंतर्गत बी.एड. एवं एम.ए. प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने विभागाध्यक्ष प्रो. चंदना डे के नेतृत्व में मदर टेरेसा ओल्ड एज होम, सप्रू मार्ग, लखनऊ का भ्रमण किया। इस अवसर पर विभाग की प्राध्यापक डॉ. अनुपमा यादव और डॉ. निहारिका श्रीवास्तव भी मौजूद रहीं। विद्यार्थियों ने वरिष्ठ नागरिकों से बातचीत कर उनके अनुभवों को सुना और उन्हें दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुएँ सप्रेम भेंट कीं।
ओल्ड एज होम के प्रबंधकों ने वहाँ उपलब्ध सुविधाओं और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल संबंधी पहलुओं पर प्रकाश डाला। विद्यार्थियों ने पाया कि जीवन के अंतिम पड़ाव में बुज़ुर्गों के लिए संवेदनशील देखभाल और अपनत्व कितना महत्वपूर्ण होता है। एक छात्रा ने कहा, “आज हमें यह महसूस हुआ कि बड़ों के साथ बिताया गया समय हमें न सिर्फ़ अनुभव देता है बल्कि जीवन के मूल्य भी सिखाता है।” वरिष्ठ नागरिकों ने भी युवाओं के साथ संवाद को आत्मीय और प्रेरक बताया।
अनाथालय में बच्चों के साथ खुशियों की साझेदारी
इसी क्रम में बी.ए. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने अपने प्राध्यापकों डॉ. रचना गिहार और मोहम्मद इरफ़ान के साथ ‘सामाजिक दृष्टि अनाथ आश्रम’, जानकीपुरम का भ्रमण किया। वहाँ पहुँचने पर संस्था के प्रबंधक ने बच्चों की दिनचर्या, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास संबंधी गतिविधियों की जानकारी दी।
विद्यार्थियों ने बच्चों के साथ खेलकूद, समूह गीत, नृत्य और रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की। इस दौरान बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था।
छात्र कन्हैया ने कहा, “इन बच्चों की मुस्कान हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। हमने सीखा कि खुशी बाँटने से और बढ़ती है।”
छात्रा माया गौतम ने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यह अवसर हमें संवेदनशील बनाता है और दूसरों के दुःख–सुख को समझने की प्रेरणा देता है।”
अनामिका यादव ने कहा, “यह अनुभव मेरे लिए अविस्मरणीय है। मैंने महसूस किया कि अपनापन ही सच्चा उपहार है।”
छात्रा अल्फिशान बानो ने अपने विचार रखते हुए कहा, “हमने बच्चों के साथ जो समय बिताया, उसने हमें यह सिखाया कि छोटी-छोटी खुशियाँ जीवन को सार्थक बनाती हैं।”
वहीं सूरज वर्मा ने कहा, “इन बच्चों की ऊर्जा और जिजीविषा ने हमें जीवन का वास्तविक अर्थ समझाया।”
अनाथालय के प्रधानाचार्य ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे सामाजिक कार्यक्रम विद्यार्थियों के भीतर सहयोग और सेवा की भावना को गहराई से विकसित करते हैं।
विश्वविद्यालय की पहल और व्यापक संदेश
इन दोनों यात्राओं ने विद्यार्थियों को यह अवसर दिया कि वे समाज के उन वर्गों से जुड़ सकें जो विशेष संवेदनशीलता और सहयोग के पात्र हैं। सेवा पखवाड़ा–स्वच्छोत्सव के अंतर्गत आयोजित यह गतिविधियाँ केवल औपचारिक भ्रमण न होकर विद्यार्थियों के लिए जीवन के वास्तविक पाठशाला सिद्ध हुईं। इस अवसर पर
विभागाध्यक्ष प्रो. चंदना डे ने कहा कि, “सामाजिक उत्तरदायित्व निभाना शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। जब विद्यार्थी समाज की वास्तविकताओं को प्रत्यक्ष देखते और अनुभव करते हैं, तभी शिक्षा का उद्देश्य पूर्ण होता है।” वहीं माननीय कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय सदैव विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
ओल्ड एज होम और अनाथालय भ्रमण दोनों ही यात्राएँ विद्यार्थियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव रहीं। इन कार्यक्रमों ने उन्हें न केवल सेवा और सहयोग की भावना से ओतप्रोत किया बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायी नागरिक बनने की प्रेरणा भी दी। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि भविष्य में भी इस प्रकार की गतिविधियाँ विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकार से जोड़ती रहेंगी और शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाएंगी।