भाषा विश्वविद्यालय: “आत्मनिर्भर भारत – युवा संवाद संगोष्ठी” में युवाओं को मिला आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता का संदेश
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के वाणिज्य विभाग द्वारा “आत्मनिर्भर भारत – युवा संवाद संगोष्ठी” का आयोजन विश्वविद्यालय के अटल सभागार में किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य युवाओं में आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता की भावना को सशक्त बनाना था, जो ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न के अनुरूप है।
कार्यक्रम के दौरान सीएम युवा मिशन की ओर से विश्वविद्यालय के पाँच विद्यार्थियों का चयन “आत्मनिर्भर भारत के ब्रांड एम्बेसडर” के रूप में किया गया। चयनित विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और सक्रिय सहभागिता का परिचय दिया। चयनित विद्यार्थियों में शामिल हैं –
* आयुष गुप्ता, एम.कॉम. (तृतीय सेमेस्टर)
* मजहबी, एम.कॉम. (प्रथम सेमेस्टर)
* अदिति सिंह, बी.कॉम. (तृतीय सेमेस्टर)
* अज़मत अली, बी.कॉम. (प्रथम सेमेस्टर)
* जशनदीप सिंह, बी.कॉम. (तृतीय सेमेस्टर)
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, चेयरमैन, फिक्की उत्तर प्रदेश ने भारत की आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “भारत ने 19वीं से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक का ऐतिहासिक सफ़र तय किया है, और इस विकास यात्रा में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब समय आ गया है जब युवाओं को पारंपरिक नौकरी की मानसिकता से आगे बढ़कर नवाचार और उद्यमशीलता की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। रोजगार पाने से अधिक आवश्यक है रोजगार देने की भावना विकसित करना — यही आत्मनिर्भर भारत का मूल मंत्र है।”
उन्होंने आगे कहा कि “भारत का भविष्य उन युवाओं के हाथों में है जो जोखिम उठाने का साहस रखते हैं और नई सोच के साथ परिवर्तन की दिशा तय करते हैं। आज सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर युवा उद्यमियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रहे हैं। विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों को कौशल-आधारित शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर उन्हें उद्योग जगत के अनुरूप तैयार करें, जिससे वे ‘जॉब सीकर’ नहीं बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ बनें।”
मुख्य वक्ता श्रीमती शिवानी, उप आयुक्त (उद्योग) एवं सीएम युवा मिशन ने कहा कि “भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है, जो हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। यदि इस युवा शक्ति को सही दिशा, संसाधन और मार्गदर्शन मिले तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृत्व भी करेगा।”
उन्होंने बताया कि “सीएम युवा मिशन के अंतर्गत अब तक एक लाख युवाओं ने अपने स्टार्टअप शुरू किए हैं, जिन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं से सहायता प्रदान की जा रही है। हमारा लक्ष्य शीघ्र ही 1.5 लाख तक पहुँचना है। यह मिशन केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।”
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी क्षमताओं को पहचानें, नए विचारों को आकार दें और असफलता से डरने के बजाय उसे सीखने का अवसर मानें। उन्होंने कहा कि “हर युवा में एक संभावित उद्यमी छिपा है — बस उसे पहचानने और दिशा देने की आवश्यकता है।”
संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के लगभग 200 विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की। वक्ताओं के उद्बोधनों के पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक अपने विचार एवं प्रश्न साझा किए। कार्यक्रम का समापन प्रो. सैयद हैदर अली, डीन एवं अध्यक्ष, वाणिज्य संकाय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।