पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने विशेषज्ञ व्याख्यान और संवैधानिक गतिविधियों के साथ संविधान दिवस मनाया

Update: 2025-11-26 12:11 GMT



बठिंडा, 26 नवंबर, 2025: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय समुदाय में संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से शैक्षणिक एवं जागरूकता-उन्मुख गतिविधियों की एक श्रृंखला के साथ 56वां संविधान दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। यह समारोह विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक कार्य विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप आयोजित किया गया तथा डॉ. अंबेडकर मानवाधिकार एवं पर्यावरणीय मूल्य पीठ, विधि विभाग और दक्षिण एवं केंद्रीय एशियाई अध्ययन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन, आमंत्रित विशेषज्ञ व्याख्यान और चर्चा सत्र शामिल थे।

समारोह का प्रमुख आकर्षण पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. रौनकी राम द्वारा प्रस्तुत आमंत्रित व्याख्यान था, जिसका विषय था — “संविधान एक सेतु के रूप में: डॉ. आंबेडकर का भारतीय एकता पर दृष्टिकोण।” प्रो. राम ने कहा कि संविधान भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक है और सामाजिक-सामूहिक चुनौतियों के समाधान का प्रभावी साधन भी है। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक नैतिक और दार्शनिक चार्टर है, जो राष्ट्र को न्याय-आधारित सामाजिक परिवर्तन की दिशा में मार्गदर्शन करता है। संविधान के दार्शनिक आधारों और समकालीन प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने डॉ. बी.आर. आंबेडकर द्वारा “अराजकता के व्याकरण” तथा लोकतंत्र में नायक पूजा के खतरों के संबंध में दी गई चेतावनियों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सच्ची संवैधानिक भावना राजनीतिक लोकतंत्र को "एक व्यक्ति, एक वोट और एक मूल्य" के सिद्धांतों से प्रेरित सामाजिक लोकतंत्र में बदलने में निहित है। उन्होंने सामाजिक सद्भाव और समावेशी राष्ट्र निर्माण सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने की आवश्यकता दोहराई।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने आयोजकों और प्रतिभागियों की सराहना की। प्रो. तिवारी ने कहा कि समाज में न्याय और शांति बनाए रखने के लिए “समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व” का एक साथ चलना अनिवार्य है। उन्होंने छात्रों को सहयोग, सहभागिता और करुणा के माध्यम से इन संवैधानिक मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया और उनसे राष्ट्र सेवा और सामाजिक सद्भाव के लिए समर्पित, ज़िम्मेदार और सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध नागरिक बनने का आग्रह किया।

कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय संविधान पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और चर्चा सत्र के साथ हुई, जिसमें छात्रों और शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय समुदाय ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया और न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व के लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

इस कार्यक्रम में प्रो. बावा सिंह (एससीएएस विभाग), डॉ. पुनीत पाठक (विधि विभागाध्यक्ष), डॉ. जगमीत बावा, तथा विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, शोधार्थी और छात्र शामिल हुए। संविधान दिवस समारोह ने संवैधानिक जागरूकता और जिम्मेदार नागरिकता को बढ़ावा देने के प्रति विश्वविद्यालय के समर्पण को रेखांकित किया।

Tags:    

Similar News