अब एक ईमेल वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया गया है कि धूप में प्लास्टिक की बोतलों को रखने पर उसमें से ऐसे रसायन निकलते हैं, जो पानी में घुलकर शरीर में पहुंच जाते हैं. इससे कैंसर हो सकता है.
इस ईमेल में कई बार एक यूनिवर्सिटी के रिसर्च पेपर का हवाला दिया गया है. लेकिन ये एक झूठा ईमेल है.
हालांकि, बिस्फ़ेनॉल ए नाम के एक रसायन को लेकर वाकई में कुछ वैज्ञानिक चिंताएं हैं.
पॉलीकार्बोनेट कंटेनरों, खाने के डिब्बे के अस्तरों के अलावा रसीदों और टिकटों में उपयोग होने वाले कागज़ों तक में बीपीए रसायन पाया जाता है.
दावा किया जाता है कि बीपीए एक फीमेल हॉर्मोन की तरह अपना असर दिखाकर नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि अभी तक ये साबित नहीं हुआ है कि इससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
लेकिन क्या इस बात के प्रमाण हैं कि ये रसायन हानिकारक हो सकता है?अध्ययनों से पता चला है कि बहुत अधिक मात्रा में शरीर में जाने पर बीपीए, चूहों, ख़ासकर गर्भवती या बहुत छोटे चूहों को हानि पहुंचा सकता है.
लेकिन इंसान बीपीए जैसे रसायनों का पाचन बहुत अलग ढंग से करते हैं. अभी इस बात के कोई पुख़्ता प्रमाण नहीं है कि हमारे शरीर में रोज़ बीपीए की जितनी मात्रा जा सकती है, क्या उससे हमें नुकसान हो सकता है या नहीं.
पैकेजिंग के काम में बीपीए का उपयोग सालों से होता आया है. और एक अनुमान है कि विकसित देशों के अधिकांश वयस्कों के मूत्र में बीपीए मिल सकता है.
हालांकि, प्लास्टिक पैकेजिंग में बीपीए का उपयोग न करके इसके ख़तरें से बचा जा सकता है. अधिकांश प्लास्टिक पर एक नंबर दर्ज होता है, जिससे उसमें बीपीए है या नहीं, इसका पता लगाया जा सकता है.बीपीए का पता कैसे लगाएं?
ये नंबर एक त्रिभुजाकार रिसाइकलिंग चिह्न (♲) के अंदर दर्ज होते हैं. 1, 2, 4 या 5 का मतलब है कि प्लास्टिक 'बीपीए मुक्त' है.
वहीं 3 या 7 का मतलब ये है कि प्लास्टिक में बीपीए हो सकता है. यदि आप प्लास्टिक को गर्म करते हैं या उस पर डिटर्जेंट डालते हैं तो उससे बीपीए निकल सकता है. प्लास्टिक पर अंकित 6 का मतलब ये है कि वह पॉलीस्टाइनिन से बना है.
यूरोपीय संघ में, बच्चों की बोतलों और खिलौनों के लिए इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक 'बीपीए मुक्त' होना चाहिए. हालांकि, खाने के डिब्बों के अस्तरों और गर्मी के प्रति संवेदनशील रहने वाले रसीदों में अभी भी बीपीए होता है. इसलिए आम जीवन में बीपीए से बच पाना लगभग असंभव है.