सूंघने की क्षमता हो गई है कम तो हो जाएं सावधान, इस बीमारी का हो सकता है खतरा
कोविड महामारी से पीडि़त लोगों में स्मेल करने की क्षमता कम होना, टेस्ट की कमी जैसी शक्ति पहले से कम हुई है. जो लोग इससे ठीक भी हो चुके हैं उनमें भी सूंघने की क्षमता की कमी और मुंह का स्वाद बिगडऩे जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं. आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि सूंघने की क्षमता की कमी होने के कारण किस गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ता है. कंजेस्टिव हार्ट फेलियरजर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के रिसर्च के मुताबिक सूंघने की शक्ति कम होने के लक्षण ज्यादातर बुजुर्ग में देखी गई है. उनके शरीर में कंजेस्टिव हार्ट फेलियर एक नई बीमारी का पता चला है. यह बीमारी एक खतरनाक रूप ले सकती है. सूंघने की शक्ति कम होने पर हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. यह इसके शुरुआती लक्षणों में से एक है. सूंघने की शक्ति कमजोर होने पर दिमाग से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है. कमजोर दिल वाले व्यक्तियों सूंघने की शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है.
नर्वस सिस्टम की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है. जिसके कारण सूंघने की शक्ति कम होती है. नाक से संबंधित परेशानी होने परकोविड '9 होने परदिमाग पर कोई चोट लगने परसूंघने की शक्ति का कम होना क्या है?सूंघने की शक्ति कम होने पर स्निफिऩ स्टिक टेस्ट किया जाता है. ताकि हाइपोस्मिया या सूंघने की शक्ति कम होने पर इस मापा जा सके. इस टेस्ट में सूंघने की शक्ति कम होने लगती है. इस दौरान बदबू को पहचानना मुश्किल है. किन लोगों में सूंघने की शक्ति कम होने लगती हैबुजुर्गन्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी जैसे अल्जाइमर पार्किंसंसक्रोनिक साइनस समस्या या नाक की समस्या वाले लोगजिन लोगों को जेनेटिक की बीमारी है उन्हें स्मोकिंग नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे सूंघने की शक्ति कम होती है. सूंघने की शक्ति कमजोर होने से बचने का तरीकाअपनी स्वास्थ्य समस्याओं का खास ख्याल रखेंसाइनस संक्रमण में इलाज करके बचा जा सकता हैजहरीली चीजों का इस्तेमाल कम से कम करेंहार्ट को हेल्दी रखेंइन सभी तरीकों को अपनाकर ही सूंघने की शक्ति को मजबूत बना सकते हैं.
बीते कुछ सालों में हार्ट अटैक भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं देश में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 25-45 साल के उम्र वाले नौजवानों में लगातार हार्ट अटैक के केसेस बढ़ रहे हैं. जो दिन पर दिन एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक ही नहीं जवान लोगों में भी काफी ज्यादा देखने को मिल रही है.