अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इंडो-पैसिफिक रणनीति और थाइवान से संबंधित मुद्दों के बारे में बात करते हुए शांगरी-ला संवाद बैठक को अमेरिका के लिए एक शो के रूप में माना। इसके प्रति चीन ने जवाब दिया।
चीन ने कहा कि इंडो-पैसिफिक रणनीति का कोई भविष्य नहीं है। यह रणनीति मूलत: विभाजन पैदा करने, टकराव भड़काने और स्थिरता को कमज़ोर करने की एक रणनीति है, जो पूरी तरह से इतिहास की प्रवृत्ति के विपरीत है। यह केवल अमेरिका के भूराजनीतिक स्वार्थों के लिए सेवा करती है और इसका कोई भविष्य नहीं होगा।
चीन ने कहा कि थाइवान मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुख्य मुद्दा है। चीन और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के लिए पूर्व शर्त यह थी कि अमेरिका थाइवान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दे, संधि को रद्द कर दे और अपने सैनिकों को वापस ले ले।
हाल के कई वर्षों में, अमेरिका ने अपनी प्रतिबद्धताओं को तोड़ दिया है और एक-चीन सिद्धांत को त्याग दिया है। अमेरिका थाइवान को स्वतंत्रता हासिल करने में मदद करता है, थाइवान को हथियार देता है और थाइवान जलडमरूमध्य की स्थिरता को बर्बाद करता है।
चीन ने कहा कि चीनी जन मुक्ति सेना थाइवान को कभी भी चीन से अलग नहीं होने देगी। थाइवान की स्वतंत्रता युद्ध के बराबर है। चीनी जन मुक्ति सेना राष्ट्रीय संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा के अपने मिशन को दृढ़ता से पूरा करेगी।