अफगानिस्तान में तालिबान का कठोर शासन है, जो हर रोज मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी-जनरल मार्टिंग ग्रिफिथ्स ने कहा कि यह खोए हुए अवसरों का देश है।
ग्रिफिथ्स ने मंगलवार को कहा, मुझे लगता है कि हमने तालिबान के साथ आगे बढऩे के कुछ अवसर खो दिए हैं।
उन्होंने कहा, उनके साथ जुडऩे का एक निश्चित तरीका है, मुझे लगता है कि उनके आदेशों और फैसलों को देखते हुए हमने मौका खो दिया है।
उन्होंने कहा, हम ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं बना पाए जो हमें तालिबान के साथ व्यापक रूप से जोड़ सके।
उन्होंने कहा कि निवेश और अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने से अफगानिस्तान प्रगति करेगा और प्रमुख सदस्य देशों को इसे आगे बढ़ाना होगा।
ग्रिफिथ्स ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 30 जून को दोहा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित की जा रही बैठक अफगानिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण का एजेंडा तय करेगी।
जब 2021 में अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और तालिबान ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने कहा, हमें तब कुछ उम्मीदें थीं, कुछ लिखित प्रतिबद्धताएं थीं।
घर से बाहर काम करने वाली लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ तालिबान के आदेशों के बारे में उन्होंने कहा, और वे उम्मीदें धराशायी हो गई हैं। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ एक के बाद एक आदेश आए हैं।
उन्होंने कहा कि ये 20 साल के खोए अवसरों का परिणाम है।
30 साल से अधिक समय तक मानवीय कार्य करने के बाद इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र छोडऩे वाले ग्रिफिथ्स ने कहा कि दुनिया की स्थिति अब उस समय से भी बदतर है जब उन्होंने पद संभाला था।
सुरक्षा परिषद द्वारा प्रस्ताव पारित होने के बावजूद हिंसा जारी रहने के बारे में उन्होंने कहा, भगवान जानता है कि यह एक अच्छी दुनिया नहीं है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना युद्ध के अभिशाप को समाप्त करने के लिए की गई थी, लेकिन हम संघर्ष को समाप्त करने में सफल नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत और संवाद नहीं हो रहा है।