आज हर बनारसी अपने मुह में पान और बगल में चाय रख के एके चर्चा करत बाडन | आज लोग एक दुसरे से पूछत हौअन की मोदी बनारस के का बना दीहन | इतना चमकत त हम एके कौनो राज में न देखले रहली |
सत्ता और चमक का पुराना सम्बन्ध है पर जब हम राम राज की परिकल्पना पर चलते है तो हमें लगता है कि राजा वही है जो राम की तरह रात के अँधेरे में निकले और उस धोबी की भी बात का मान रखे जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से सबसे कष्टकारी थी |
पर आज के राजा दिन में निकलते है और गाजा - बाजा के साथ और अधिकारी सतर्क हो जाता है जिससे उसका पैच वर्क शुरू हो जाता है | मखमल में ऐसी पैबंद की राजा को भी मखमल का ही एहसास हो |
प्रधानमंत्री मोदी ने काशी को बहुत दिया पर इन अधिकारियो से और उनके काम को जानने के लिए मोदी जी और योगी जी दोनों को रात के अंधरे में बिना सिपहसालारों के निकलना चाहिए जिससे उन्हें वास्तविकता का पता चल सके |
अगर नीति निर्माता को ये पता नही की पैच वर्क क्या है और ओरिजिनल कार्य क्या है तो उसे सही और गलत की समझ नहीं हो पाएगी |
कई तो बनारसी बाबू कह रहे थे कि इ मोदी दू -चार महिना एइही काहें न रह लेतन हमहन का कुल परेशानिया ख़त्म हो जात | पर पान की पीक के साथ धरती को लाल करते बनारसी लाल को कौन समझाए की बाहर से आने वाले तो धो -पोछ के चले जायेंगे पर ओके चमका के रखे का जिम्मेदारी त हमहन का ही हौ |
बनारस वास्तव में बहुत दूर तक लोगो की आस्था और विश्वास का केंद्र रहा है और प्रधानमंत्री मोदी के काल में उसे आधुनिकता और पुरानी परम्पराओं का संगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है |