BRO के मजदूरों के लिए खुशखबरी, रक्षा मंत्री ने अनुग्रह राशि के एकमुश्त भुगतान के लिए कार्य दिवस में छूट को दी मंजूरी
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से बीआरओ में काम कर रहे अस्थायी कामगारों के लिए एक बड़ी घोषणा की गई है। रक्षा मंत्री ने बीआरओ के अस्थायी मजदूरों के लिए अनुग्रह राशि के एकमुश्त भुगतान के लिए 179 दिन के प्रावधान में छूट को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और जनरल इंजीनियरिंग रिजर्व फोर्स (जीआरईएफ) में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों (सीपीएल) को अनुग्रह राशि के एकमुश्त भुगतान के लिए दुर्घटना के समय 179 कार्य दिवस पूरे करने के प्रावधान से छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
मौजूदा निर्देशों के अनुसार, जिन अस्थायी मजदूरों ने बीआरओ में कम से कम 179 दिन काम किया है, उन्हें किसी हादसे के बाद 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि एकमुश्त भुगतान के दायरे में रखा गया है। 179 कार्य दिवसों की इस बाधा के कारण किसी हादसे में मौत हो जाने पर अस्थायी मजदूरों के कई परिवार अनुदान से वंचित रह जाते हैं।
बीआरओ की इकाइयां दूर-दराज, बर्फ से घिरे, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित होती हैं। ऐसे में यहां कोई उचित सार्वजनिक और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। ऐसे में दुर्गम पहाड़ी इलाके, खतरनाक कार्य स्थल और जोखिम से भरे जीवन शैली के साथ स्वास्थ्य खतरे के कारण कई बार ऐसे में अस्थायी मजदूरों की जान को भारी खतरा रहता है।
ऐसे में रक्षा मंत्री द्वारा न्यूनतम 179 कार्य दिवसों की शर्त में छूट अस्थायी मजदूरों के उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत होगी, जो सरकारी ड्यूटी के दौरान अपने परिवार वालों को हादसे में खो देते हैं। इससे पहले भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बीआरओ/जीआरईएफ द्वारा चल रहे प्रोजेक्ट में काम कर रहे अस्थायी कामगारों के लिए समूह (टर्म) बीमा योजना, जिसमें हादसे में मौत के बाद कामगारों के परिवार या निकट संबंधियों को 10 लाख रुपये का बीमा सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया।
वहीं, हादसे में मृत कामगारों के परिवार को शवों के ले जाने के लिए परिवहन भत्ता (टीए) की देनदारी भी जोड़ी गई। इसके साथ ही ऐसे मजदूरों के परिवार को अंत्येष्टि सहायता राशि 1,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया। वहीं, मृत्यु आदि के मामले में तत्काल सहायता के रूप में 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के अग्रिम भुगतान का भी आदेश दिया गया था।