अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों ने भारत को वैश्विक केंद्र-बिंदु में पहुंचा दियाः उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियों को "असाधारण" करार देते हुए जोर देकर कहा कि सफल चंद्रयान-3 मिशन ने अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम उज्ज्वल किया है।
I believe @isro's journey into space exploration has been nothing short of extraordinary!
— Vice President of India (@VPIndia) September 20, 2023
Its achievements in reaching uncharted territories in space have garnered international attention. #ISRO pic.twitter.com/eheLsVPyFi
आज राज्यसभा में "चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग से गौरवान्वित भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा" विषय पर चर्चा की शुरुआत में उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले देश के रूप में पहले स्थान पर स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि के साथ, भारत 2025 तक चंद्रमा पर मानव को भेजने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाली बहुपक्षीय पहल, आर्टेमिस समझौते का सदस्य बन गया है।
With the successful #Chandrayaan3 mission, @isro has etched its name in the annals of space exploration.
— Vice President of India (@VPIndia) September 20, 2023
India is only the fourth country in history to have soft landed a spacecraft on the moon, and the first to have done so in the moon's South Polar region. #ISRO pic.twitter.com/eg6rD0GXwQ
उपराष्ट्रपति ने छह दशकों से अधिक की भारतीय अंतरिक्ष यात्रा का उल्लेख करते हुए रेखांकित किया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विदेशी लॉन्च व्हिकलों पर निर्भरता से स्वदेशी लॉन्च क्षमताओं के साथ पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल अपने उपग्रहों को लॉन्च करने की क्षमता विकसित की है, बल्कि अन्य देशों के लिए उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए अपनी सेवाओं का विस्तार भी किया है। अब तक 424 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए जा चुके हैं।
Over the span of nearly six decades, India's space programme has seen the country evolve from a nation relying on foreign launch vehicles to becoming fully self-reliant with its indigenous launch capabilities.
— Vice President of India (@VPIndia) September 20, 2023
India has not only developed the capacity to launch its own… pic.twitter.com/JlcHfigo0I
चंद्रमा की सतह से आगे भारत की उपलब्धियों की सराहना करते हुए, श्री धनखड़ ने सदन को याद दिलाया कि भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) 2014 में अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंच गया था। हाल ही में लॉन्च किए गए आदित्य-एल1 मिशन और वीनस का अध्ययन करने के लिए आगामी शुक्रयान-1 मिशन को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रहों की खोज और सुदूर अंतरिक्ष अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना देश की विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष प्रयासों का उपयोग करने के इसरो के प्रयासों का एक स्वाभाविक विस्तार था।
उपराष्ट्रपति ने "नासा और ईएसए जैसी प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों की तुलना में बहुत कम लागत” पर इन उपलब्धियों को अर्जित करने में सक्षम होने की इसरो की शक्ति को स्वीकार करते हुए जोर देकर कहा कि यह निम्न लागत स्वदेशीकरण पर बल देने और आयात पर निर्भरता कम करने का परिणाम है।
उपराष्ट्रपति ने 2023 की भारतीय अंतरिक्ष नीति को अंतरिक्ष अन्वेषण में अधिक नवोन्मेषी और आर्थिक रूप से मजबूत भविष्य की दिशा में एक "विशाल छलांग" के रूप में संदर्भित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में निजी उद्यमों का प्रवेश भारत अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएँ के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।
यह रेखांकित करते हुए कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों ने "देश को वैश्विक केंद्र-बिंदु पर पहुंचा दिया है", उपराष्ट्रपति ने भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा को "राष्ट्रीय गौरव" का विषय बताते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “चंद्रयान मिशन से लेकर चंद्रमा तक, मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) और आदित्य-एलएल के सौर अन्वेषण से, भारत ने दिखाया है कि हमारा लक्ष्य आसमान से भी ऊंचा है, यह तो बस शुरुआत है।''