देश भर में इस समय रमजान की धूम है पर कोरोना काल में जहाँ एक ओर लोगो को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है वही देश के ज्यादातर धार्मिक संगठन अपनी हठ के आगे किसी की नहीं सुनते है इसमें चाहे देश रहे या ख़त्म हो जाए |
अभी हाल में ख़त्म हुए कुम्भ के दौरान भी यही देखने को मिला जहां पर भरी संख्या में श्रद्धालु जुटे और आज उत्तराखंड कोविड के प्रकोप से जूझ रहा है | इसी तरह देश के न जाने कितने जाने माने मुस्लिम विद्वानों ने कहा की मस्जिदों में भीड़ न करे पर उनकी सुनता कौन है | देश भर में जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में भीड़ लगी हुई है |
भारत में बढ़ती हुई धार्मिक कट्टरता किस तरफ देश को लेकर जायेगी ये अभी कह पाना मुश्किल है पर एक दूसरे के ऊपर आरोप और प्रत्यारोप लगाते हुए हिन्दू हो या मुसलमान , ईसाई हो या सिख सब अतिवाद के शिकार है |
इन धार्मिक संगठनों में सिक्खो का संगठन एक बात के लिए ज्यादा अच्छा है कि वो समाज के काम में भी काफी आते है | पर हिन्दू मंदिरो और मुस्लिमो की मस्जिद हो उनसे सेवा के कार्य अगर कुछ संगठनों को छोड़ दे तो कही भी करते हुए दिखाई नहीं पड़ते |
भारत के लोगो को सोचना होगा की लाखो की संख्या में मंदिर और मस्जिद बनाकर पूजा और इबादत करने से अच्छा है कि उतने हॉस्पिटल होते तो आज किसी की जान ऑक्सीजन की कमी से न जाती | सड़को पर लोगो को तड़पते नहीं मरना होता |