केन्या के ओलंपियन और 10 हजार मीटर में पूर्व अंडर-20 विश्व चैंपियन रोजर क्वेमोई पर एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट (एआईयू) ने ब्लड डोपिंग के लिए छह साल का प्रतिबंध लगा दिया है।
सूत्रों ने बताया कि क्वेमोई को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए ब्लड बूस्टर के इस्तेमाल का दोषी पाया गया है। इसका खुलासा उनके एथलीट्स बायोलॉजिकल पासपोर्ट (एबीपी) से हुआ। एआईयू ने प्रतिबंध के फैसले पर 24 अप्रैल को ही मुहर लगा दी थी, हालांकि इसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया।
अब 27 साल के हो चुके धावक को पोलैंड में 2016 में विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में उनकी जीत के बाद पूर्व अफ्रीकी देश की लंबी दूरी की ट्रैक रनिंग का भविष्य माना जा रहा था।
डेविड शार्प की अध्यक्षता वाले तीन जजों के लंदन स्थित पैनल ने क्वेमोई को ब्लड डोपिंग का दोषी करार दिया। साथ ही 18 जुलाई 2016 से 8 अगस्त 2023 के बीच उनके द्वारा जीते गये सभी खिताब, रिकॉर्ड और इनामी राशि वापस लेने का भी फैसला सुनाया गया है। इसके अतिरिक्त मामले की सुनवाई के खर्च के रूप में उन्हें वर्ल्ड एथलेटिक्स को तीन हजार डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
वर्ष 2022 में इस्तांबुल हाफ मैराथन में 59.15 मिनट का रिकॉर्ड बनाने वाले क्वेमोई ने लंदन के एक वकील के जरिये तीन जजों के समक्ष सुनवाई का विकल्प चुना। वकील ने बिना किसी शुल्क के उनके लिए मुकदमा लड़ा।
जजों ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उनके एबीपी के असामान्य होने की वजह जल्दी-जल्दी उनकी भौगोलिक परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण प्राकृतिक रूप से शारीरिक तथा मानसिक बदलाव हैं।
पोलैंड में 27 मिनट 25.23 सेकेंड के साथ 10 हजार मीटर में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप जीतकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के बाद क्वेमोई ने 2017 में ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल खेलों में 10 हजार मीटर में कांस्य पदक जीता। दोहा में 2019 के विश्व चैंपियनशिप में वह चौथे स्थान पर रहे। टोक्यो ओलंपिक 2020 में इसी दूरी वर्ग में वह सातवें स्थान पर रहे।
अपनी आखिरी प्रतिस्पर्द्धा में अमेरिका में 2022 विश्व चैंपियनशिप में वह 15वें स्थान पर रहे।